लालास में
दांतारामगढ़, [लिखा सिंह सैनी ] दांतारामगढ़ के निकटवर्ती ग्राम लालास के शहीद सूबेदार महेंद्र कुमार मुवाल 5 जनवरी को कश्मीर में श्रीनगर की ऊंची चोटियों पर डयूटी के दौरान अपने वतन के लिये 43 वर्ष की आयु में शहीद हो गये। शहीद महेंद्र कुमार 28 जून 1996 में सेना में भर्ती हुए जिन्होंने करीब 25 वर्षों तक अपने देश की सेवा की शहीद की पार्थिव देह मंगलवार शाम 5 बजे श्रीनगर से दिल्ली पहुँचा ।शहीद का पार्थिव शरीर सेना की गाड़ी से राजकीय सम्मान के साथ बुधवार सुबह 9 बजे पहुँचेगा सीकर जहाँ से विशाल जनसैलाब के साथ नागौर जिले में उनके पैतृक गांव लालास से अंतिम यात्रा के रूप में सुबह 11 बजे पहुँचेगा।
सूबेदार महेन्द्र कुमार 5 जनवरी को ही शहीद हो गये थे लेकिन पिछले कुछ दिनों से हो रही भारी बर्फबारी के कारण उनकी पार्थिव देह को एयरपोर्ट तक लाया नही जा सका जिसके कारण देरी हुई। वही नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने अपने ट्विटर के माध्यम से बताया कि जैसे उनको नागौर के शहीद की जानकारी प्राप्त हुई रक्षा मंत्रालय से संपर्क करके जल्द से जल्द पार्थिव शरीर उनके घर तक पहुँचाने की कोशिश की।लेकिन मौसम खराब होने से देरी हुई। शहीद की अंत्येष्टि बुधवार को 12 बजे राजकीय सम्मान के साथ ग्राम लालास में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के पास होगी। शहीद महेन्द्र कुमार ने 10 वीं कक्षा ग्राम लालास की सरकारी विद्यालय से 1995 में उत्तीण की थी। शहीद सूबेदार महेंद्र कुमार मुवाल के एक पुत्र संजय व एक पुत्री पूजा है।उनकी धर्मपत्नी का नाम कमला देवी है।महेंद्र के पिता का नाम मनसुखराम था जिनका भी निधन हो चुका है वो भी भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके है। 20 वर्षीय बेटी पूजा भारतीय कॉलेज सीकर से स्नातक कर रही है जबकि 13 वर्षीय बेटा संजय गांव की संगम स्कूल में कक्षा 9वी में अध्ययनरत है। शहीद सूबेदार महेन्द्र कुमार पिछले एक वर्ष से जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में तैनात थे।उनके परिवार में अभी उनका छोटा भाई हनुमान है।अपने माता पिता को खो चुके शहीद के परिवार में चार भाइयों में महेंद्र तीसरे नम्बर पर था।जिनकी शादी 1998 में हुई थी।दो बड़े भाईयों का भी पहले ही आकास्मिक निधन हो गया था।