योग एवं प्राकृतिक आयुर्विज्ञान विभाग द्वारा
झुंझुनू, श्री जगदीशप्रसाद झाबरमल टीबडेवाला विश्वविद्यालय के योग एवं प्राकृतिक आयुर्विज्ञान विभाग द्वारा 10 दिवसीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन विश्वविद्यालय परिसर में किया गया। योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के छात्रों को योग एवं नेचुरोपैथी के ज्ञान में निपुण करने के साथ-साथ उनके कौशल को विकसित करने हेतु यह कार्यशाला आयोजित की गयी है।17 से 26 मई 10 दिवस तक यह कार्यशाला चलेगी और इसमें विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के अतिरिक्त अन्य जिज्ञासु छात्र भी सहभागी हो सकेगें। कार्यशाला में प्रायोगिक अभ्यास के अतिरिक्त प्राकृतिक चिकित्सा के अनुप्रयोग, मानसिक स्वास्थ्य एवं योग, योग चिकित्सा, पतंजलि योगसूत्र, एक्यूप्रेशर और प्राणिक चिकित्सा, श्रीमद भगवद्गीता, वैकल्पिक चिकित्सा, आहार पोषण एवं यौगिक जीवन शैली इत्यादि विषयों की कक्षाएं संचालित होगी। जिसमें डॉ. सागर कछवा, डॉ.तनुश्री, डॉ. सुषमा मौर्य, डॉ.प्रगति भूतोड़िया, पूनम सिंह, उज्ज्वल की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। कार्यशाला का उद्धघाटन विश्वविद्याल के कुलपति डॉ. बाल किशन टिबडेवाला ने दीपप्रज्वलन के साथ किया इस अवसर पर मानव संसाधन विभाग के प्रमुख डॉ. महेशसिंह राजपूत ने छात्रों को योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में रोजगार के अवसर किस प्रकार उपलब्ध हो सकते है। इसके बारेमें विस्तार से मार्गदर्शन किया। शैक्षणिक प्रमुख डॉ. रामदर्शन फ़ोगाट ने योग के महत्व को समझाते हुए इस प्रकार की प्रशिक्षण कार्यशाला को जरूरी बताया। शिक्षा संकाय के प्रमुख डॉ. डॉ. रामप्रताप सैनी ने योग को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जानी वाली विद्या बताकर उसे शारीरिक स्वास्थ्य का प्राचीनतम उपहार माना। डॉ. जुली ओझा ने आध्यात्म-विद्या के रूप में योग का जीवन में क्या महत्व है, इसे समझाने का प्रयास किया। योग एवं प्राकृतिक आयुर्विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. सागरसिंह कछवा ने इस कार्यशाला की रूप रेखा प्रस्तुत की। मंच का संचालन डॉ. प्रगति भुतोडीया ने किया और आभार प्रदर्शन उज्जवल ने किया । इस अवसर पर डॉ. तनुश्री, डॉ. सुषमा मौर्य, पुनम सिंह,देवीका देव और उमेश तथा विभिन्न आयु-वर्ग छात्र-छात्रायें आदि विशेष रूप से उपस्थित रहें।