लोहिया गर्ल्स कॉलेज में बेटियों को पढ़ाने के लिए नहीं है व्याख्याता, एकमात्र व्याख्याता का भी सरकार ने कर दिया स्थानांतरण
रतनगढ़ की 967 बेटियों का भविष्य बना हुआ अंधकारमय, इस समस्या के समाधान हेतु जनप्रतिनिधियों ने साधी चुप्पी
रतनगढ़, [सुभाष प्रजापत ] बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के दावे क्षेत्र में कितने मजबूत है, इसका उदाहरण तो रतनगढ़ की लोहिया गर्ल्स कॉलेज की स्थिति देखकर पता चल जाता है। हालात इतने बदत्तर है कि राजकीय लोहिया गर्ल्स पीजी कॉलेज बाबूओं के भरोसे संचालित हो रही है। कॉलेज आयुक्तालय द्वारा क्षेत्र में नियमों को भी ताक पर रख दिया गया है। कॉलेज में व्याख्याता के पद पर कार्यरत राजेंद्रकुमार सुथार के पास लोहिया गर्ल्स कॉलेज के प्राचार्य का पदभार था, लेकिन सरकार के द्वारा जारी आदेशों के चलते उनका भी स्थानांतरण हो गया है, ऐसे में कॉलेज के लैब असिस्टेंट डॉ राकेशकुमार महरिया कार्यवाहक प्राचार्य है, जो नियमों के विरूद्ध है। गर्ल्स कॉलेज में प्राचार्य सहित सभी व्याख्याताओं के पद खाली है। कॉलेज में पढ़ने वाली 967 बेटियों का शिक्षा के क्षेत्र में भविष्य अंधकारमय बना हुआ है और क्षेत्र के जनप्रतिनिधि कुंभकर्णी निंद्रा में लीन है। क्षेत्र में भाजपा व कांग्रेस के नेता भी बेटियों के लिए आवाज उठाने के लिए आगे नहीं आए तथा चुप्पी साध रखी है। 26 अगस्त को छात्र संघ के चुनाव भी इस कॉलेज में होने हैं तथा कल से नामांकन पत्र भी दाखिल किए जाएंगे, लेकिन कॉलेज में सक्षम अधिकारी भी नहीं है। कॉलेज परीक्षाओं के समय सरकार कुछ व्याख्याताओं को इधर-उधर से डेपुट करवाकर परीक्षा जैसा कार्य संपादित करवाकर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर लेती है, लेकिन जहां अध्ययन का प्रश्न है। पूरे साल विद्यार्थियों को ट्यूशन पर ही आधारित रहना पड़ता है। जहां एक तरफ ट्यूशन का व्यवसाय फलफूल रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रवेश शुल्क के नाम पर उच्च शिक्षा विभाग लाखों रुपए एकत्रित कर लेता है, लेकिन अध्ययन के मामले में विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।