सीकर, गत दस सालों के दौरान जिले की कुछ ग्राम पंचायतों के सरपंच व सचिवों द्वारा मिलीभगत करते हुए ग्राम पंचायतों की करोडों की आबादी भूमियों की कोड़ियों में बाटने को करीब 30 शिकायतों की जांच अब भी पंचायती राज विभाग, लोकायुक्त, संभागीय आयुक्त एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी के स्तर पर लंबित है। ऎसी जांचे समय पर पूर्ण नहीं करने के कारण सरपंच अपना कार्यकाल पूर्ण कर लेते है तथा कर्मचारी सेवानिवृत हो जाते है। मुख्य कार्यकारी अधिकरी रामनिवास जाट ने बताया कि जिला परिषद स्तर से माह जुलाई-अगस्त में अभियान चलाकर ऎसी जांचे पूर्ण की जायेगी तथा दोषी सरपंच सचिवों को उनके कार्यकाल में ही निलम्बित या बरखास्त करवाने तथा सरकार को हुये नुकसान की वसूली की कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने बताया कि पंचायतों के सरपंचों का वर्तमान कार्यकाल (2015-20) के दौरान किसी भी स्तर पर भूमि निस्तारण एवं पट्टा जारी करने में हुई अनियमितताओं की तत्काल जानकारी उच्च अधिकारियों को देने तथा ऎसी कार्यवाईयों को सक्षम स्तर से निरस्त करवाने के लिए प्रत्येक पंचायत प्रसार अधिकारियोंं को जिम्मेदारी दी गई है। जिले में पंचायती राज संस्थाओं के प्रभारी (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) द्वारा जारी आदेशों मेें पंचायत प्रसार अधिकारियों को चेतावनी दी गई है कि उनके प्रभार में किसी भी ग्राम पंचायत में भूमि निस्तारण या पंचायत की परिसम्पतियों को बेचने में अनियमितता होती है तो इसके लिए सरपंच, सचिव के बराबर जिम्मेदार माने जायेंगे। पट्टे जारी करने में गडबड करने तथा सरकार को वित्तीय हानि पहुंचाने के लिए पंचायतों के पूर्व सरपंचों के विरूद्ध वसूली तथा आगामी 6 साल के लिये निर्योग्य घोषित करने की कार्यवाही चल रही हैं अभयपुरा (पिपराली), गुरारा (खण्डेला), करड़ ,बाय (दांतारामगढ़), मलिकपुर (खण्डेला़), जुराठडा (पिपराली़), गढटकनेत (श्रीमाधोपुर), दूधवालों का बास (खण्डेला) शेष 22 मामलों में शिकायतों पर प्रारम्भिक जांच की जा रही है।