एसडीएम बिजेंद्र सिंह पर दर्ज एफआईआर के खिलाफ राजस्व अधिकारियों-कर्मचारियों ने दिया जिला कलक्टर को ज्ञापन
चूरू, साहवा के नानक टीला प्रकरण में सरदारशहर एसडीएम (तत्कालीन तारानगर तहसीलदार) बिजेंद्र सिंह पर तारानगर पुलिस थाने में हाल ही में दर्ज हुई एफआईआर के खिलाफ शुक्रवार को जिले के राजस्व अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने आक्रोश जताया और जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर एफआईआर निरस्त करने की मांग की। एडीएम लोकेश गौतम के नेतृत्व में आरएसएस एसोसिएशन, राजस्थान तहसीलदार सेवा परिषद, राजस्थान कानूनगो संघ एवं राजस्थान पटवार संघ की ओर से दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि बिजेन्द्र सिंह उपखण्ड अधिकारी सरदारशहर (तत्कालीन तहसीलदार तारानगर) के विरूद्ध पुलिस थाना तारानगर में हाल ही में दर्ज हुई एफआईआर पूर्णतया आधारहीन, विधिक प्रावधानों के विपरीत तथा राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों के विरूद्ध है।
राजस्व अधिकारियों ने बताया कि प्रकरण के अनुसार वर्ष 2006 में ग्राम साहवा तहसील तारानगर से नानक टीला नामक गुरूद्वारा तक प्रचलित रास्ते के खातेदारों ने अपनी खातेदारी भूमि के समर्पण पत्र तत्कालीन तहसीलदार महेश कुमार के समक्ष पेश किये, जिनका समर्पण पत्र तत्कालीन तहसीलदार महेश कुमार ने स्वीकृत कर निर्णय पारित कर दिया था, परन्तु इस निर्णय एवं समर्पण पत्रों के आधार पर तत्समय नामांतरकरण दर्ज नहीं हो सका एवं भूमि पूर्ववत् खातेदारों के नाम दर्ज अभिलेख चलती रही । वर्ष 2014 में बिजेन्द्र सिंह तत्कालीन तहसीलदार तारानगर के समक्ष पक्षकारों द्वारा इस समर्पण पत्र एवं निर्णय के आधार पर नामांतरकरण दर्ज करने के लिए आवेदन पेश किया गया, तब बिजेन्द्र सिंह तत्कालीन तहसीलदार तारानगर ने समर्पण पत्र एवं निर्णय 7-8 साल पुराने होने के कारण न्यायहित में पक्षकारों को एतराज प्रस्तुत करने हेतु नोटिस जारी किये। तत्पश्चात् एतराज सुनकर तत्कालीन तहसीलदार बिजेन्द्र सिंह ने लोक सेवक की हैसियत से नामान्तरकरण दर्ज करने का विधिसमत् आदेश पारित किया एवं नामांतरकरण स्वीकृत किया।
राजस्व अधिकारियों ने कहा कि नामांतरकरण एक न्यायिक कार्यवाही है एवं नामांतरकरण की राजस्व अदालत में अपील का प्रावधान है। कोई भी व्यक्ति जो नामांतरकरण से व्यथित हो, वह राजस्व अदालत में अपील कर सकता है। जबकि हस्तगत प्रकरण में न्यायिक प्रावधानों को दरकिनार करते हुए केवल एक निष्ठावान अधिकारी को तंग, परेशान एवं बदनाम करने के लिए पुलिस कार्यवाही का सहारा लिया गया है, जो सरासर गलत एवं उच्चतम न्यायालय एवं राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर लोक सेवक राजस्व अधिकारियों एवं कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा के लिए जारी आदेशों एवं परिपत्रों के विपरीत है।
अधिकारियों ने बताया कि इसी प्रकरण में न्यायिक मजिस्ट्रेट तारानगर ने मुरारीलाल बनाम रामप्रसाद के मामले में अपने आदेशिका दिनांक 16.05.2022 में बिजेन्द्र सिंह चाहर केे किसी प्रकार के अपराधिक षड्यंत्र में शामिल होने से इनकार किया है। ज्ञापन में कहा गया है कि एफआईआर निरस्त करवाने की तत्काल कार्यवाही कराएं ताकि राजस्व अधिकारी एवं कर्मचारी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें। सभी संगठनों ने यह भी कहा है कि यदि यह एफआईआर निरस्त नहीं होती है तो आर. ए. एस. एसोसिएशन एवं राजस्व सेवा परिषद् को मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना होगा। इस दौरान सुजानगढ़ एसडीएम मूलचंद लूणियां, तारानगर एसडीएम सुभाषचंद्र, चूरू एसडीएम उगम सिंह, रतनगढ़ एसडीएम अभिलाषा, राजगढ़ एसडीएम रणजीत कुमार, चूरू तहसीलदार धीरज झाझड़िया, तहसीलदार कमलेश कुमार सहित एसडीएम, तहसीलदार, कानूनगोे, पटवारी आदि मौजूद रहे।