आरोप – फर्जी कागजातों के आधार पर बनीं थी बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष
आरटीआई कार्यकर्ता राजेश अग्रवाल ने अपने अधिवक्ता के साथ की प्रेस वार्ता
झुंझुनू, बाल कल्याण समिति झुंझुनूं की पूर्व अध्यक्ष अर्चना चौधरी के खिलाफ कोतवाली में फर्जीवाड़े का मामला दर्ज हुआ है। आरटीआई कार्यकर्ता राजेश अग्रवाल ने यह मामला दर्ज करवाया है। इसको लेकर आज झुंझुनू के एक निजी होटल में राजेश अग्रवाल ने अपने वकील लोकेश शर्मा के साथ प्रेस वार्ता में आरोप लगाया गया है कि बाल कल्याण समिति झुंझुनूं के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के लिए अर्चना चौधरी ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों का सहारा लिया। इसके अलावा शपथ पत्र और आवेदन पत्र में भी झूठी जानकारियां दी। कोर्ट के आदेशों के बाद दर्ज किए गए इस मामले में उनके पति ले. कर्नल दिनेश चौधरी तथा श्रीगंगानगर निवासी प्रतिभा को भी नामजद आरोपी बनाया गया है। राजेश अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि नियमों में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष व सदस्य पद के लिए समाजशास्त्र, एलएलबी जैसे विषयों के अलावा सात साल बच्चों के साथ काम करने का अनुभव होने पर ही अभ्यर्थी पात्र माने जाते है। लेकिन अर्चना चौधरी के पास ऐसी कोई भी योग्यता नहीं थी। जिसके बाद उन्होंने अपने पति ले. कर्नल दिनेश चौधरी व श्रीगंगानगर की एक निजी स्कूल की प्रधानाध्यापिका प्रतिभा व अन्यों के साथ मिलकर फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र तैयार करवाए। इन अनुभव प्रमाण पत्रों के आधार पर उन्हें बाल कल्याण समिति झुंझुनूं के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति मिली। यही नहीं श्रीमती अर्चना चौधरी ने अपने ऊपर लगे क्रिमीनल आरोपों की जानकारी भी अपने आवेदन पत्र में छुपाते हुए गलत शपथ पत्र बाल अधिकारिता विभाग में प्रस्तुत किया। कोर्ट ने सभी तथ्यों को देखते हुए कोतवाली पुलिस को भादसं की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी में मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे। जिसके बाद अब कोतवाली ने अर्चना चौधरी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
आरटीआई कार्यकर्ता राजेश अग्रवाल ने बताया कि जब अर्चना चौधरी के आवेदन पत्र व दस्तावेजों को सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त किया तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। अपने आवेदन पत्र में अर्चना चौधरी ने कुल 12 साल का अनुभव होने की जानकारी अंकित की। जबकि उन्होंने अनुभव के दस्तावेज 8 साल छह महीने के लगाए। वो भी सारे के सारे फर्जी निकले। झुंझुनूं की एक निजी स्कूल का अनुभव प्रमाण पत्र दो साल नौ महीने का लगाया। जिसे खुद इसी स्कूल ने फर्जी करार दे दिया। दो साल का एक अनुभव प्रमाण पत्र आर्मी की प्री प्राइमरी स्कूल का दिया। इस स्कूल ने भी इस अनुभव प्रमाण पत्र को फर्जी करार दे दिया। वहीं एक श्रीगंगानगर की निजी स्कूल का अनुभव प्रमाण पत्र दिया। जो तीन साल नौ महीने का था। जो स्कूल ना केवल बंद हो चुकी है। बल्कि बार-बार मांगने पर भी वह कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करवा पा रही।
आरटीआई कार्यकर्ता राजेश अग्रवाल ने बताया कि बाल कल्याण समिति झुंझुनूं की पूर्व अध्यक्ष अर्चना चौधरी को झूठी वाहवाही लूटने का शौक रहता है। इसलिए अपने प्रभाव को बढाने के लिए उन्होंने अपने आवेदन में खुद को गिनिज बुक ऑफ रिकॉर्डधारी बताया है। लेकिन असल में उनके खुद के नाम ऐसा कोई रिकॉर्ड गिनिज बुक ऑफ रिकॉर्ड में नहीं है। दरअसल जब अर्चना चौधरी के पति ले. कर्नल दिनेश चौधरी की पोस्टिंग मेरठ केंट में थी तो मेरठ में 3 हजार 615 लोगों ने मिलकर विश्व की सबसे बड़ी पेंटिंग बनाई थी। इस इवेंट का एक प्रमाण पत्र मेरठ जिला प्रशासन ने जारी किया था। उसी आधार पर खुद को गिनिज बुक ऑफ रिकॉर्ड धारी खुद को बता रही है। जबकि इस प्रमाण पत्र में यह भी स्पष्ट नहीं है कि अर्चना चौधरी 3615 संभागियों में शामिल थी। या फिर केवल इवेंट की सफलता पर उन्हें शुभकामनाएं दी गई है।
आरटीआई कार्यकर्ता राजेश अग्रवाल ने बताया कि बाल कल्याण समिति झुंझुनूं की पूर्व अध्यक्ष अर्चना चौधरी पर 2012 में जम्मू में चोरी के आरोप भी लग चुके है। जो उस वक्त समाचार पत्रों और टीवी चौनलों में काफी सुर्खियों में रही थी। यहां पर अर्चना चौधरी पर कई दुकानों में चोरी करने के आरोप लगे थे। इन आरोपों को लेकर अर्चना चौधरी को क्लीन चिट मिली या फिर उन पर किसी प्रकार कानून कार्रवाई हुई। इसकी जानकारी भी अर्चना चौधरी ने ना केवल आवेदन पत्र में छुपाई। बल्कि शपथ पत्र में झूठी जानकारी दी। क्योंकि आवेदन के वक्त अर्चना चौधरी ने शपथ पत्र लिखा था कि उनके खिलाफ न्यायालय या फिर थाने में प्रकरण दर्ज, लंबित, निस्तारित हो चुका है अथवा रहा है के संबंध में पूर्व विवरण देवे, निस्तारण होने पर क्या दोष सिद्ध ठहराया गया है… की जानकारी दें। जिसमें नहीं लिखकर अर्चना चौधरी ने अपने ऊपर लगे चोरी के आरोपों को छुपाकर अपराध कारित किया है।
आरटीआई कार्यकर्ता राजेश अग्रवाल ने बताया कि वे अर्चना चौधरी की अयोग्यता को लेकर लगातार बाल अधिकारिता विभाग में शिकायतें कर रहे है। लेकिन आज तक अर्चना चौधरी के फर्जी दस्तावेजों की जांच नहीं करवाई गई है। क्योंकि इस मामले में बाल अधिकारिता विभाग के अधिकारियों की भी मिलीभगत है। बाल कल्याण समिति झुंझुनूं के आवेदन की अंतिम तिथि 05 जुलाई 2021 थी। जबकि बाल अधिकारिता विभाग के अधिकािरयों ने 31 अगस्त 2021 का जारी एक अनुभव प्रमाण पत्र भी अर्चना चौधरी के आवेदन में शामिल किया। इसके बाद भी शिकायतों की जांच ना करवाना। विभाग की मिलीभगत को जाहिर करता है।
आरटीआई कार्यकर्ता राजेश अग्रवाल ने बताया कि अर्चना चौधरी ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष पद के लिए भी आवेदन किया था। जिसमें भी उन्होंने इन्हीं सभी फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया। इसलिए अग्रवाल ने मांग की है कि यदि बाल अधिकारिता विभाग अर्चना चौधरी के मामले में पाक साफ है तो तुरंत उनके बाल कल्याण समिति झुंझुनूं तथा बाल आयोग राजस्थान के अध्यक्ष पद के आवेदनों की जांच कर आवश्यक कार्रवाई करें।
आरटीआई कार्यकर्ता राजेश अग्रवाल ने बताया कि इस मामले में अर्चना चौधरी के पति ले. कर्नल दिनेश चौधरी भी शामिल हैं। क्योंकि दो साल का आर्मी की एक प्री प्राइमरी स्कूल का अनुभव प्रमाण पत्र ले. कर्नल दिनेश चौधरी की शह बिना ना तो तैयार हो सकता है और ना ही मिल सकता है। इसके अलावा अर्चना चौधरी के सभी दस्तावेजों को ले. कर्नल दिनेश चौधरी ने सेना की अपनी मोहर लगाकर प्रमाणित किया है। श्रीगंगानगर की मैरी ऐंजल्स पब्लिक स्कूल संस्था का अनुभव प्रमाण पत्र इसलिए भी शक के घेरे में है। क्योंकि फिलहाल यह स्कूल बंद है और बार-बार मांगने पर भी स्कूल के संचालक कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवा रहे। चर्चा तो यहां तक है कि यह स्कूल अर्चना चौधरी के पारिवारिक सदस्य की ही है। लेकिन इस पर शक इसलिए भी हुआ कि इस अनुभव प्रमाण पत्र के मुताबिक अर्चना चौधरी मई 2010 से फरवरी 2014 तक स्कूल में बतौर अध्यापिका कार्यरत थी। लेकिन अपने दस्तावेजों में अर्चना चौधरी ने एक एमएड की मार्कशीट भी सलंग्न कर रखी है। जिसमें बताया गया है कि वह 2011 में उदयपुर की एक कॉलेज में नियमित एमएड स्टूडेंट थी। श्रीगंगानगर और उदयपुर के बीच की दूरी 750 किलोमीटर है। इसलिए यह संभव नहीं है।
आरटीआई कार्यकर्ता राजेश अग्रवाल ने बताया कि मामला दर्ज होने के बाद वे पुलिस जांच अधिकारी से मिलेंगे। जिसमें वे जयपुर और झुंझुनूं के अलावा श्रीगंगानगर की बंद स्कूल का रिकॉर्ड तुरंत जब्त करने की मांग करेंगे। क्योंकि अर्चना चौधरी और उनके पति अपने रसूख के चलते इन रिकॉर्ड से छेड़छाड़, रिकॉर्ड को गायब आदि कर सकते है।
आरटीआई कार्यकर्ता राजेश अग्रवाल ने बताया कि अर्चना चौधरी को यह तक सामान्य जानकारी नहीं है कि उन्होंने शिक्षा विभाग में काम किया था या फिर निजी स्कूलों में। दरअसल उन्होंने अपने आवेदन पत्र में लिखा है कि 10 साल उन्हें शिक्षा विभाग में काम करने का अनुभव है और दो साल का प्रिंसीपल का अनुभव। लेकिन 10 साल के शिक्षा विभाग का एक भी प्रमाण पत्र उन्होंने आवेदन में सलंग्न नहीं किया। जबकि दो साल का प्रिंसीपल का प्रमाण पत्र भी उनका फर्जी निकला।