सरदारशहर, [ जगदीश लाटा] पिछले दिनों ही महिला सशक्तिकरण के संदेश के साथ आधी आबादी को लोकसभा एवं राज्यसभा में तैंतीस प्रतिशत आरक्षण का समर्थन करने वाले राजनीतिक दल द्वारा राजस्थान में मुख्यमंत्री पद की गरिमा स्थापित करने वाली एवं दावेदारी पेश करने वाली महिला विधायक का नाम फेहरिस्त से अंत में हटा देने पर इसे कथित तौर पर आधी आबादी की उपेक्षा किये जाने के चर्चे शुरू हो गये है।
राजस्थान में तीन दिसंबर को चुनाव परिणाम घोषित कर दिए जाने के बाद चुनाव आयोग की ओर से 5 दिसम्बर को सरकार गठन करने के आदेश के बावजूद राज्य में बहुमत हासिल भाजपा में मुख्यमंत्री के नाम पर एकमत नहीं होने से करीब एक हफ्ते बाद मंगलवार को आलाकमान की ओर से मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगा घोषणा की गई। पिछले एक हफ्ते के दौरान मुख्यमंत्री के रूप में कट्टर हिन्दू नेता बालकनाथ, बालमुकुंद से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समेत तीन महिला विधायक को मिलाकर करीब एक दर्जन नाम सामने आये । अधिकांश लोगों द्वारा जिनमें कतिपय कांग्रेसी भी शामिल हैं, धार्मिक नेता को मुख्यमंत्री बनाने की संभावना पर खुशी जाहिर की। पर महिला सशक्तिकरण और आधी आबादी की प्रतीक वसुंधरा समर्थकों ने पहले खुले आम और बाद में आलाकमान के कथित भय से गुप्त रूप से विरोध जारी रखा। इसी के फलस्वरूप आलाकमान को राजस्थान में मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा पेंडिंग रखनी पड़ी।
राजस्थान भाजपा और आरएसएस तथा भाजपा आलाकमान में अनवरत चिंतन मनन चलता रहा पर वसुंधरा समर्थकों को कथित रूप से राजी नहीं किया जा सका। अंततः कथित तौर पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के कथित दबाव के चलते मुख्यमंत्री की गरिमा स्थापित करने वाली और महिला सशक्तिकरण तथा आधी आबादी की प्रतीक वसुंधरा राजे का नाम फेहरिस्त से हटा दिया गया । अब जनचर्चा है कि आधी आबादी को लोकसभा एवं राज्यसभा में तैंतीस प्रतिशत आरक्षण की हिमायती मोदी सरकार द्वारा संघ के कथित दबाव में वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री नहीं बनाये जाने के क्या मायने हैं। यह भी राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में इससे ब्राह्मण दलित किंचित ओबीसी के अलावा भाजपा का भी ज्यादातर वोटर पार्टी से विमुख नहीं होगा?
राजनीतिक विश्लेषक यह भी मान रहे हैं कि भाजपा आलाकमान ने राजस्थान मुख्यमंत्री के मुद्दे पर मोदी की ओर से किया गया निर्णय कथित तौर पर थोपा गया एक आदेश माना जा रहा है। इसके पीछे लोग कारण पहले कटटर हिंदू बालकनाथ और फिर अनुभवी महिला सशक्ती राजे की मुख्य मंत्री की दौड़ से दूर कर देना मानते हैं। यह भी जनचर्चा है कि वसुंधरा एवं समर्थक और राजपूत समाज कथित रूप से असंतुष्ट माने जाते हैं।