फर्जी डॉक्टर से जुड़े इस मामले ने अपने पीछे छोड़े सुलगते बड़े सवाल
चूरू, [सुभाष प्रजापत ] कन्या भ्रूण हत्या अभिशाप को रोकने के लिए अब भारत में सख्त कानून है और इसी का नतीजा है की PCPNDT अधिनियम जैसे सख्त कानून के चलते कहीं ना कहीं विगत कुछ वर्षों में कन्या भ्रूण हत्या पर लगाम लगाई जा सकी है. लेकिन आज भी सोनोग्राफी जैसे मामलों में बड़ा हेर फेर हो रहा है. ऐसा ही सरदारशहर में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां पर सरदारशहर के राजकीय अस्पताल के पीछे स्थित शेखावाटी डायग्नोस्टिक सेंटर में फर्जी तरीके से एक फर्जी डॉक्टर 10 दिनों तक गर्भवती महिलाओं की जिंदगी के साथ खेलता रहा, फर्जी डॉक्टर का फर्जीवाड़ा इतना बड़ा था कि जिसको सुनकर आपका भी सर चकरा जाए। शेखावाटी डायग्नोस्टिक में एक व्यक्ति ने तेलंगाना राज्य में काम कर रहे डॉ प्रवीण कुमार अजमेरा के डॉक्यूमेंट फर्जी तरीके से सीएमएचओ को अपने डॉक्यूमेंट बताकर सोनोग्राफी करने की परमिशन ले ली, इसके बाद से लगातार यह फर्जी व्यक्ति 3 जनवरी से सरदारशहर के ताल मैदान के पीछे स्थित शेखावाटी डायग्नोस्टिक सेंटर में सोनोग्राफी करता रहा। पीसीपीएनडीटी एक्ट काफी सख्त है, इस एक्ट के तहत डॉक्टर को व्यक्तिगत रूप से चिकित्सा विभाग के अधिकारी के सामने प्रस्तुत होना पड़ता है और अपने डॉक्यूमेंट का वेरिफिकेशन करवाना होता है। ऐसे में किस आधार पर इस फर्जी डॉक्टर को परमिशन दी गई, यह बड़ा सवाल है, और जो शेखावाटी डायग्नोस्टिक सेंटर है उन्होंने बिना किसी जानकारी के कैसे एक फर्जी डॉक्टर को अपने यहां काम पर रखा यह भी बड़ा सवाल उठता है, हालांकि 10 दिनों तक जिस फर्जी डॉक्टर ने अनगिनत सोनोग्राफी की वह फर्जी डॉक्टर कौन था, इसका ना तो चिकित्सा विभाग के अधिकारीयो को पता हैं और ना ही सेंटर चलाने वाले मालिक बता पा रहे हैं, ऐसे में यह बड़ा सवाल उठता है कि जिस डॉक्टर ने यहां काम किया वह कौन था, इसमें कहीं ना कहीं चिकित्सा विभाग के अधिकारियों और सेंटर संचालकों की मनमानी के साथ बड़ा भ्रष्टाचार उजागर होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
फर्जी डॉक्टर को 2 जनवरी को सोनोग्राफी करने की परमिशन चिकित्सा विभाग की ओर से मिल गई, जिसके बाद वह लगातार सोनोग्राफी करने लगा लेकिन जब वास्तविक डॉक्टर प्रवीन कुमार अजमेरा का पता लगा तब उन्होंने तुरंत तेलंगाना से चूरू जिला कलेक्टर, सीएमएचओ चूरू व अन्य अधिकारियों को शिकायत की, तब जाकर यह खुलासा हो सका. जब डॉक्टर प्रवीण कुमार अजमेरा की सेंटर संचालक आमीर खान से बात की तो वह भी गोल-गोल जवाब देते हुए नजर आए। डॉक्टर प्रवीण कुमार अजमेरा की शिकायत मिलने के बाद आनन फानन में रात के अंधेरे में सोनोग्राफी सेंटर की मशीन को सील कर दिया. जिसकी जानकारी चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने किसी भी मीडिया कर्मी को नहीं दी. चिकित्सा विभाग के अधिकारी अब जांच की बात कर रहे हैं मामले में लीपा पोती कर रहे है. लेकिन अभी तक उनके द्वारा इस फर्जीवाड़ी पर एफआईआर दर्ज नहीं करवाई गई है। डॉक्टर प्रवीन कुमार अजमेरा ने हमारे संवाददाता को पूरे फर्जीवाड़ी की जानकारी देते हुए बताया की मैं डॉक्टर प्रवीण कुमार अजमेरा रेडियोलॉजिस्ट फ्रॉम हैदराबाद. पिछले 6 महीने से मैं हैदराबाद में एक ही अस्पताल में काम कर रहा हूं, लगभग जुलाई के बाद से, जुलाई से पहले मेने 5 से 6 महीने के टाइम पीरियड में नोहर में जयपुर डायग्नोस्टिक सेंटर रेलवे रोड पर काम किया था, उसका ओनर था संजय पूनिया, मैं वहां से राजीनामा देके, फिर मैं हैदराबाद आ गया. मुझे कोई सरदारशहर से कोई लेना देना नहीं है। चूरू सीएमएचओ मनोज शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि हम संस्थान के द्वारा प्रोवाइड करवाये गये डॉक्यूमेंट के आधार पर परमिशन देते हैं। इस फर्जीवाड़े को लेकर हमने कई दफा शेखावाटी डायग्नोस्टिक सेंटर संचालक से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने अपनी ओर से कोई भी सफाई नहीं दी। शेखावाटी लाइव के लिए चूरू से सुभाष प्रजापत की रिपोर्ट
भारत में बहुत सख्त हैं PCPNDT एक्ट
डॉ प्रवीण कुमार अजमेरा ने बताया कि पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है. इसके अनुसार डॉक्टर क्वालिफाइड रहना चाहिए, कम से कम एमबीबीएस तो डॉक्टर होना ही चाहिए, एमबीएस के बाद डीएमआरडी, एमडी रेडियोलॉजी, डीएनबी रेडियोलॉजी एमडी गायनिक यह सब अल्ट्रासोनोग्राफी करने के लिए एलिजिबल है, अल्ट्रासोनोग्राफी उसके लिए आधार कार्ड लेना चाहिए, सेंटर में फॉर्म एफ भरना चाहिए फिर ऑनलाइन की प्रक्रिया है ऑनलाइन भी चढ़ाना चाहिए. राजस्थान में ऑनलाइन की प्रक्रिया सख्त है हर दिन ऑनलाइन चढ़ना पड़ता हैं।