लॉक डाउन में फंसे गरीब मजदूरों की सहायता के लिए
सूरजगढ़, आदर्श समाज समिति इंडिया के संरक्षक मनजीत सिंह तंवर के नेतृत्व में प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखा गया है। पत्र में लॉक डाउन के दौरान श्रमिकों, गरीब मजदूरों के साथ हो रहे भेदभाव और अत्याचार को रोकने व बीच रास्तों में फंसे गरीब मजदूरों की सहायता करने का अनुरोध किया गया है। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने बताया कि लॉक डाउन में गरीब मजदूरों को रोक कर उन पर अत्याचार किया जा रहा है और पावरफुल अमीरों को सरकार द्वारा बसों से उनको घर तक पहुंचाया जा रहा है। कानून सबके लिए बराबर होता है। गरीबों ने कौन सा गुनाह किया है? इस तरह का भेदभाव करना सरासर गलत है। भारतीय मजदूर संगठन व अन्य श्रमिक संगठन जो गरीब मजदूरों के नाम पर नेतागिरी करते हैं। गरीब मजदूरों के साथ हो रहे भेदभाव और अत्याचारों को सभी श्रमिक संगठन खामोशी से देख रहे हैं। कोई मजदूरों के हित में एक शब्द नहीं बोल रहा है। यह बहुत शर्म की बात है। ऐसे स्वार्थी संगठनों को समाप्त किया जाना चाहिए। पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री को अवगत करवाया गया है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण सरकार द्वारा बिना किसी पूर्व तैयारी के अचानक किये गये लॉक डाउन की वजह से करोड़ों श्रमिक, गरीब मजदूर मुसीबत में फंस गये हैं। सब कुछ बंद होने की वजह से वह लोग सड़क पर आ गये। घर से हजारों किलोमीटर दूर बड़े शहरों में उनके पास रहने की जगह नहीं थी। गरीब मजदूरों के पास पैदल घर की तरफ चलने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। घर में उनको कोई घुसने नहीं दे रहा था। सड़क पर उनको पीटा जा रहा था। बहुत ही भयानक स्थिति थी। गरीब मजदूरों पर इस तरह का अत्याचार पहली बार देखने को मिल रहा है। बहुत से लोगों की इस दौरान मौत भी हो गई। लाॅक डाउन के दौरान असहाय, गरीब मजदूरों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। जबकि पावरफुल वह अमीरों को सरकार द्वारा बसों से उनको घर तक पहुंचाया जा रहा है। क्या लॉक डाउन का पालन सिर्फ गरीब मजदूरों को ही करना है। यूपी सरकार ने 17 अप्रैल को राजस्थान के कोटा में 300 बस भेजकर तकरीबन 8000 छात्रों को उनके घर पहुंचाने के लिए वहां से मंगवाया है। इससे पहले भी बीच रास्तों में फंसे पर्यटकों व तीर्थ यात्रियों को बसों द्वारा गुजरात व आंध्र प्रदेश भिजवाया गया था। लॉक डाउन सब के लिए है। कानून सबके लिए बराबर है। फिर ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है। क्या गरीब होना ही गुनाह हो गया है। श्रमिक, किसान, गरीब मजदूर देश का निर्माण करते हैं। उनके साथ इस तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। बीच रास्तों में फंसे लाचार, बेबस, गरीब मजदूर, दिहाड़ी मजदूर, श्रमिकों व अन्य लोगों की हिफाज़त की जानी चाहिए या फिर सुरक्षित उनको घर तक पहुंचाया जाना चाहिये। कहीं ऐसा ना हो जाए कि कोरोना वायरस के संक्रमण से ज्यादा मौत हमारे लोगों की भूख और परेशानियों से हो जायें। हमारे देश में श्रमिक वर्ग का एक बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र में कार्यरत है। हमारे देश में आज भी सबसे ज्यादा संख्या श्रमिकों व गरीब दिहाङी मजदूरों की है। जो देश के विभिन्न राज्यों में मजदूरी कर अपना पेट पाल रहे हैं और गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं। जो श्रमिक फैक्ट्रियों में काम करते थे। उनको वहां से निकाल दिया गया। जो गरीब मजदूर ठेकेदारों के काम करते थे। उन ठेकेदारों ने भी मजदूरी के पैसे दिए बिना मजदूरों को बीच मझधार में छोड़ दिया। अब गरीब मजदूर जायें तो कहाँ जायें। वो मजबूर थे, हजारों किलोमीटर अपने घरों से दूर थे। बस,रेल आवागमन के सभी साधन लॉकडाउन की वजह से बंद हो गये। गरीब मजदूरों के पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी। उन असहाय, बेबस मजलूमों के तो जिंदगी के सारे रास्ते बंद हो गये। यह गरीबों के साथ बहुत बड़ा अत्याचार और त्रासदी थी। गरीब मजदूर अपने ही देश में बेगाने हो गये हैं। जिस तरह की खौफनाक भयानक तस्वीरें देखने को मिल रही हैं। बेबस गरीब मजदूरों के साथ बहुत बड़ा अन्याय हो रहा है, उनके साथ अत्याचार हो रहा है। देश में पावरफुल लोगों के द्वारा जगह-जगह लाॅक डाउन का उल्लंघन किया जा रहा है। कहीं पर शादियां हो रही हैं तो कोई बड़ा आदमी अपना जन्मदिन मना रहा है। कहीं पर हजारों लोग पूजा में भाग ले रहे हैं तो कहीं पर जलसा किया जा रहा है। इसके अलावा परमिशन का फायदा उठाकर लोगों को घर तक पहुंचाया जा रहा है। लेकिन देश में गरीब मजदूरों की सुनने वाला कोई नहीं है। भारतीय मजदूर संगठन या कोई भी श्रमिक संगठन भी इन गरीब मजदूरों पर हो रहे अत्याचार की बात सरकार तक नहीं पहुंचा पाया है। हमें अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि लॉक डाउन के दौरान गरीब मजदूर वर्ग के लोगों के साथ सबसे ज्यादा भेदभाव और अत्याचार हो रहा है। संकट की इस घड़ी में किसी के साथ भी भेदभाव नहीं होना चाहिए। पत्र के माध्यम से आदर्श समाज समिति इंडिया द्वारा प्रधानमंत्री से अनुरोध किया गया है कि असहाय गरीब, लाचार मजदूरों और बेबस श्रमिकों को सहायता व सुरक्षा प्रदान की जाये और उनको घर तक सुरक्षित पहुंचाया जाये। संकट की घड़ी में गरीबों पर किसी तरह का अत्याचार नहीं होना चाहिये।