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आरक्षित वर्ग की महिलाओं को आरक्षण देने की मांग जोर पकड़ने लगी

अन्य राज्य से राजस्थान में विवाहित महिलाओं से जुड़ा मामला

जयपुर, राजस्थान प्रदेश में भी विवाहित आरक्षित एससी,एसटी,ओबीसी वर्ग की महिलाओं को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने की मांग जोर पकड़ने लगी है। प्रदेश में अनुसूचित जाति की सर्वोच्च संस्था डॉ. अम्बेडकर मेमोरियल वेलफेयर सोसाइटी, जयपुर ने इस बाबत प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है। संस्था के महासचिव अनिल कुमार गोठवाल ने मांग की है कि आरक्षित वर्ग की ये महिलाएं जन्म स्थल एवं विवाह स्थल दोनों ही दृष्टि से आरक्षित वर्ग में शामिल हैं। इनकी शादी प्रदेश के आरक्षित वर्ग के युवाओं से हुई है। भारतीय जन प्रतिनिधि अधिनियम 1950 की धारा 20 के अनुसार प्रदेश में शादी के आधार पर इन्हें मूल निवासी का कानूनी दर्जा प्राप्त है। अतः इन महिलाओं को ‘माइग्रेटेड (प्रवासी) श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। गोठवाल ने आरोप लगाया कि एक वर्ष पूर्व तक प्रदेश में इन्हें सरकारी नौकरी में आरक्षण का लाभ मिलता था। लेकिन अब अचानक इन्हें नौकरी में आरक्षण के लाभ से वँचित कर दिया गया है। अनेकों महिलाओं को नियुक्ति के बाद नौकरी से निकाले जाने के आदेश पारित हो रहें हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि व्यापक तबके के प्रभावित होने व समस्या की गंभीरता के मद्देनजर इन महिलाओं को प्रदेश की सद्भावी निवासी मानते हुए तुरंत आरक्षण का लाभ दिए जावे तथा नियुक्ति से वँचित महिलाओं को नियुक्ति प्रदान कर न्याय दिलवाया जावे। निकटवर्ती अन्य राज्यों से आरक्षित वर्ग की हजारों महिलाएं राजस्थान प्रदेश में विवाहित हैं। इनका ताल्लुक एससी,एसटी,ओबीसी कैटेगरी से है। यहां विवाह के पश्चात् मायके से इनके मूल निवास व जाति प्रमाण पत्र निरस्त हो चुके हैं। राजस्थान में शादी के आधार पर प्रदेश सरकार इन्हें पति के निवास स्थान का स्थाई निवासी मानते हुए मूल निवास व जाति प्रमाण पत्र जारी कर चुकी है। अचानक इन्हें सरकारी नौकरी में आरक्षण के लाभ से वँचित कर दिया गया है। वैसे तो इन महिलाओं की संख्या सम्पूर्ण प्रदेश में फैली हुई है, लेकिन प्रदेश के सीमावर्ती जिले श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, झुंझुनू, सीकर, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, उदयपुर, प्रतापगढ़, पाली, सिरोही, बाड़मेर, जैसलमेर में इनकी संख्या हजारों में है। मामला राजस्थान विधानसभा में भी उठाया जा चुका है। लेकिन प्रदेश सरकार की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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