सरदारशहर में
शहर में आवारा पशुओं की बढ़ती संख्या लोगों के लिए सिरदर्द और जान को खतरा बन रही है। मैन रोड़ ही नहीं बल्कि हर गली मोहल्ले में आवारा पशुओं का आतंक है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। शहर में आवारा पशुओं का आतंक इतना है कि पांच जनों की जान जा चुकी है तथा दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो चुके है। शहर में कई गोशाला होने के बावजूद भी प्रशासन आवारा गोवंश को गोशाला में नहीं भेज रही है। आए दिन हो रहे हादसे के कारण शहर के लोग भयभीत है। लोग अपने घरों से निकलते समय भी डरते है। शहर में कुछ लोगों ने गाय पाल रखी हैं, लेकिन अधिकांश लोग दूध निकालने के बाद गायों को सडक़ पर इधर-उधर चारे के लिए मुंह मारने को छोड़ देते हैं। सब्जी मंडी में सांडों का आतंक इस कदर है कि लोग सब्जी खरीदने के लिए आने से कतरा रहे हैं। इसी प्रकार गली मोहल्लों में भी आवारा पशुओं का जमावड़ा रहता है। आवारा पशु झुंड में रहते हैं जो किसी पर अटैक करें तो बचना मुश्किल है। इधर लोगों का कहना है कि शहर में बढ़ते आवारा पशु लोगों की जान के लिए बड़ा खतरा है। आवारा पशुओं को पकडक़र गोशाला या जंगल में छोडऩे की ड्यूटी नगरपालिका की है लेकिन लापरवाही से शहर में आवारा जानवर दिन पर दिन बढ़ रहे हैं तथा आमजन को चोटिल कर रहे है। आवारा पशु एक दूसरे पर हमले करने से कई राहगीर, बाइक सवार इसकी चपेट में आने से हाथ पेर तुड़वा रहे है। पीडि़त लोगों ने बताया कि आवारा पशुओं को शहर से हटाने की व्यवस्था प्रशासन को करनी चाहिए। ताकि हादसों से बचा जा सके। इधर नगरपालिका व गौशाला समाधान करने का नाम नहीं ले रही आवारा पशुओं पर राजनीति कर रही है। नगरपालिका पुरे पशु गोशाला भेजने को तैयार है लेकिन गोशाला लेने से मना कर रही है। गोशाला के ट्रस्टी जगदीश अग्रवाल का कहना है कि जो बाजार में आवारा पशु है उनके पेट में प्लास्टिक है जिससे गौशाला में जाते है मरना शुरू हो जाती है। फिर लोगों में गौशाला को बदनाम किया जाता है। नगरपालिका अपने स्तर पर ही आवारा पशुओं की व्यवस्था करे। नगरपालिका व गौशाला की राजनीति की भेंट चढ रहा है आम आदमी। जनता अब इसकी समाधान की मांग को लेकर आंदोलन करने का विचार कर रही है।