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पंजीकरण की अंतिम तिथि अब 31 जनवरी, ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं पशुपालक

सीकर, जिला कलेक्टर मुकुल शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार की बजट घोषणा के अन्तर्गत मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजनान्तर्गत राजस्थान सरकार द्वारा 5-5 लाख दुधारू गाय एवं भैस, भेड़ बकरी तथा 1 लाख उष्ट्र वंश सहित कुल 21 लाख पशुओं का निःशुल्क बीमा प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है एवं पशुधन की मृत्यु होने की स्थिति में बीमित राशि का भुगतान पशुपालक को किया जायेगा। पशुपालक द्वारा मोबाईल एप, पोर्टल https://mmpby.rajasthan.gov.in पर ई-मित्र के माध्यम से 31 जनवरी 2025 तक पंजीकरण करवाया जा सकेगा। राजस्थान के समस्त जनाधार कार्डधारक पशुपालक योजनान्तर्गत पंजीकरण करवा सकेगें। प्रत्येक जनाधार कार्डधारक पशुपालक अधिकतम 2 दुधारू गाय,2 दुधारू भैंस 1 दुधारू गाय व 01 दुधारू भैंस ,10 बकरी,10 भेंड,01 उष्ट्र वंश टैंग्ड पशु के लिए पंजीकरण किया जा सकेगा। योजनान्तर्गत राज्य के जनाधार कार्डधारक पशुपालक लाभान्वित होगे। जिनका चयन लॉटरी द्वारा किया जायेगा साथ ही योजनान्र्तगत राज्य के समस्त गोपाल क्रेडिट कार्डधारक पशुपालक, लखपति दीदी पशुपालकों को प्रथम प्राथमिकता से लाभान्वित किया जा सकेगा।

इस योजनान्तर्गत बीमा के लिए प्रत्येक पशु गाय, भैंस (दुधारू), उष्ट्र (नर,मादा) के लिए अधिकतम 40 हजार रूपयें एवं प्रति बकरी, भैड़ (मादा) पशु की कीमत 4000 रूपयें अधिकतम 10 बकरी, भैड़ (मादा) की अधिकतम बीमित राशि 40 हजार रूपयें है। इस योजना मे राज्य सरकार द्वारा 400 करोड़ रूपयें व्यय होगें। इस योजनान्तर्गत का प्रमुख उद्देश्य प्रदेश के पशुपालको के अमूल्य पशुधन का निःशुल्क बीमा कर पशुपालकों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करवाना है। उन्होंने समस्त उपखण्ड अधिकारी, खण्ड विकास अधिकारी को निर्देश दिये है कि रात्रि चौपाल, प्रशासन गांवों के संग अभियान में पशुपालकों को इस योजना की जानकारी प्रदान करावें।
योजना में पंजीकरण की गति को तीव्र किये जाने के लिए समस्त उपनिदेशक, प्रभारी बी.वी.एच.ओ, प्रभारी पशु चिकित्सालयों पशुपालन विभाग, डेयरी संचालकों, आशा सहयोगियों, कृषि पर्यवेक्षकों, राजीविका, शिक्षा संस्थाओं में चर्चा, गौष्ठीयों का आयोजन तथा पशु सखियों, पशुमित्रों के माध्यम से योजना का व्यापक प्रचार—प्रसार करवाना सुनिश्चित करवायें ताकि शत प्रतिशत लक्ष्यों को अर्जित किया जाकर राज्य सरकार कि इस कल्याणकारी योजना मे पशु पालकों को अधिक से अधिक लाभान्वित किया जा सके।

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