झुंझुनूं, लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण व बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम के विशेष न्यायाधीश सुकेश कुमार जैन द्वारा दिये एक निर्णय एक अढ़ाई वर्षिय अबोध बालिका से दुष्कर्म करने के आरोपी नरेश उर्फ पप्पू पुत्र मोहनलाल मेघवाल निवासी नानड़ की ढ़ाणी तन रधुनाथपुरा पुलिस थाना सूरजगढ़ को आजीवन कारावास की सजा दी है तथा दस हजार रूपये अर्थ दण्ड से दण्डित भी किया है। न्यायालय ने यह भी आदेश दिया है कि मासुम बालिका के माता-पिता द्वारा पूर्व में दिये गये शपथ बयानो से पलट कर पक्षद्रोही हो गये इस कारण मिथ्या साक्ष्य देने पर पिता बलबीर व माता मुकेश देवी के विरूद्ध भी अपराध का संज्ञान लेकर दोनो के विरूद्ध विचारण के भी आदेश दिये है। मामले के अनुसार 22 नवम्बर 2012 को बलबीर ने पुलिस थाना सूरजगढ़ पर एक रिर्पोट दी की वह बाहर गया हुआ था । संायकाल जब वह घर आया तो उसकी पत्नी मुकेश ने बताया कि वह शाम को चार बजें पानी लाने कुएं पर गई थी । उस समय पिडि़ता बच्ची उम्र दौ- अढ़ाई वर्ष जो चौक में खेल रही थी, को पड़ौसी उक्त नरेश पिडि़ता के पास था तथा कमरा अन्दर से बन्द था तथा पिडि़ता चिल्ला रही थी तो उसने धक्का दे कर कूंदी तोड़ी। नरेश ने पीडि़ता के साथ दुष्कर्म किया है। इस रिर्पोट पर पुलिस ने मामला दर्ज कर नरेश के विरूद्ध बलात्कार आदि का चालान पिलानी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर दिया जहां से मामला सेंशन न्यायाधीश झुंझुनूं को भेजा गया तथा सेंशन न्यायाधीश ने यह मामला अपर सेशन न्यायाधीश संख्या एक झुंझुनूं कैंम्प चिड़ावा को भेज दिया। कैम्प चिड़ावा स्थित न्यायालय में सभी गवाहान के बयान हो गये थे तथा वहां मामला अंतिम बहस में आ गया था। कैम्प चिड़ावा स्थित न्यायालय में पीडि़ता के पिता बलबीर व माता मुकेश ने आरोपी नरेश के विरूद्ध सकारात्मक गवाही दी थी किन्तु पोक्सो एक्ट प्रभाव में आने के कारण यह मामला झुंझुनूं स्थित पोक्सो न्यायालय में भेज दिया गया। पोक्सो न्यायालय में मामले का पुन: विचारण हुआ तथा न्यायलय मे राज्य सरकार की तरफ से विशेष लोक अभियोजक लोकेन्द्र सिंह शेखावत खुडानिया ने पोक्सो न्यायालय में पुन: कुल दस गवाहान के बयान करवाये एवं 17 दस्तावेज प्रदर्शित करवाये गये। पोक्सो न्यायालय झुंझुनूं में पुन: जब दुष्कर्म पीडि़त बालिका के माता-पिता के बयान हुये तो वें दोनो चिड़ावा न्यायालय में हुये सशपथ बयानो से मुकर गये व उन्हे पक्षद्रोही घोषित किया गया। पत्रावली पर आई साक्ष्य का बारिकी से विशलेषण करते हुये न्यायाधीश ने आरोपी नरेश उर्फ पप्पु को न्यायालय ने उक्त सजा के साथ-साथ पोक्सो एक्ट में भी आजीवन कारावास व दस हजार रूपये अर्थ दण्ड से दंण्डादिष्ट करते हुये सभी सजाये साथ-साथ भुगतने का आदेश देते हुये ये भी आदेश दिया कि पीडि़ता के माता-पिता द्वारा आरोपी को सजा दिलाने में असहयोग का रूख अपनाया है। अत: ऐसी स्थिती में जिला विधिक सेवा प्रधिकरण को पीडि़ता को प्रतिकर दिलाये जाने की सिफारिश करने के साथ-साथ यह भी उचित प्रतित होता है कि प्रतिकर की राशी पीडि़ता के वयस्क होने तक उसके माता-पिता आहरित नही कर सकेगे व वयस्कता प्राप्त करने के पश्चात केवल पीडि़ता ही उक्त प्रतिकर राशि को आहरित कर सकेगी।