विधानसभा चुनाव में भाजपा शासित राज्य राजस्थान सहित मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में हार के बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व चिंतित व परेशान नजर आ रहा हैं। देश में लोकसभा चुनाव है और इस चुनाव में अपने बलबूते पर जीतना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बनता दिखाई दे रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में अकेले मोदी लहर की वजह से भाजपा ने 282 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया था लेकिन इस बार मोदी लहर में गिरावट के साथ केंद्र सरकार की कुछ नीतियों जैसे नोटबन्दी, जीएसटी आदि की वजह से भाजपा का उत्तरप्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे बड़े राज्यों सहित पूरे देश में प्रभाव कम हुआ है। इन सभी को लेकर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व परेशान व चिंतित है। केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े स्वर्ण जाति के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण एवं ओबीसी के आरक्षण बिल को लेकर आयोग के गठन करने का जो निर्णय लिया है अब उसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे। इसी प्रकार कंपनियों में हो रहे घोटालों को लेकर भी संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान किया गया है। कांग्रेस के लोग दुष्प्रचार कर रहे हैं कि भाजपा ने दो-तीन लोगों को भगा दिया है जबकि कांग्रेस के शासनकाल में जिस प्रकार से ऋण देने की बंदरबांट की गई थी। उसके बाद केंद्र सरकार की ओर से वसूली के कड़े प्रावधान किए जाने के कारण उन्हें देश छोडक़र भाग जाना पड़ा यह बात गुरुवार को सांसद कार्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए सांसद सुमेधानंद सरस्वती ने कही। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा था कि किसानों के सभी ऋण माफ कर दिए जाएंगे जबकि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री गहलोत कहते हैं कि डिफाल्टर किसानों के ही ऋण माफ किए जाएंगे । इस कारण किसान अपने आप को काफी ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। ऐसी नीतियों का भाजपा पुरजोर विरोध करेगी। सांसद ने कहा की पिछली बार की तरह 25 की 25 सीटें लोकसभा में दोहराने का पूरा प्रयास रहेगा।