झुंझुनूताजा खबर

आदर्श समाज समिति इंडिया का वतन के नाम अमन का पैगाम

उनका जो फर्ज है, वो अहले-सियासत जाने,
हमारा पैगाम सिर्फ मोहब्बत है, जहां तक पहुंचे.!

झुंझुनू, राष्ट्र को शांति का संदेश देने के लिए आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में धर्मपाल गांधी की अध्यक्षता और युवा नेता रणधीर सिंह बुडानिया के मुख्य आतिथ्य में वतन के नाम अमन का पैगाम ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। कॉन्फ्रेंस में देश के विभिन्न प्रांतों से कवि, लेखक, बुद्धिजीवी, साहित्यकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लेकर अपनी देशभक्ति रचनाओं और अपने विचारों के माध्यम से राष्ट्र को शांति का संदेश दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रयागराज से युवा कवयित्री श्रीमती रेनू मिश्रा दीपशिखा ने किया। दिल्ली से युवा कवयित्री चंद्रमणि मणिका ने देशवासियों को शांति का संदेश देते हुए निम्न कविता सुनाई, ” भूलकर क्रोध को द्वेष के रोग को प्रेम से सींचे अब आओ नई पौध को। फरीदाबाद से कमल धमीजा ने अपनी रचना आईना “नाम धर्म का नफरत दिल की कितने गंदे हो गये लोग” के माध्यम से देशवासियों को जागृत करने का प्रयास किया। हल्द्वानी नैनीताल से अमृता पांडे ने अपनी कविता “मत काटो फसल नफरत की ओ मजहब के काश्तकारो, न तेरा न मेरा यह देश है हम सबका इसे मिलकर संवारों”। हसनपुर अमरोहा से कवि और सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट मुजाहिद चौधरी ने अपनी देशभक्ति रचना “हर सिम्त करें चश्मे मोहब्बत के रवां हम, हम मुल्क से अपने सभी नफरत को मिटा दें।”और “मोहब्बतों की कुछ तो निशानियां रख लो, बुजुर्ग छोड़ गए हैं वो कहानियां रख लो, हमारे बाद यह मंदिर मस्जिद रहें ना रहें, इमारतों की ज़हन में निशानियां रख लो‌।” सीमा कौशिक ‘मुक्त’ की रचना “बदलाव” “तुझमें हिम्मत है तो सही को सही गलत को गलत कह के दिखा, सच्ची देशभक्ति नफरत फैलाना नहीं! है अनेकता में एकता सबको प्यार से अपना बना।” प्रयागराज से कवयित्री रेनू मिश्रा दीपशिखा ने “देश तुम्हारा है, इन्हें धर्मों में मत बांटो, सब भारतीय हैं, मतभेद बीज मत उगाओ” कविता के माध्यम से राष्ट्र को शांति का संदेश दिया। कटक ओडिशा से संघमित्रा राएगुरु ने अपनी कविता “दिया जलाना जरूरी है” के माध्यम से देशवासियों को शांति का संदेश दिया‌। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि खुशी प्रयागराज ने अपने आदर्श विचारों व अपनी कविता “पिता और चार बच्चे” के माध्यम से देशवासियों को अमन का पैगाम दिया। प्रयागराज से ललिता पाठक ने भी अपने विचारों के माध्यम से देशवासियों को शांति का संदेश दिया। अजमेर से सुनीता जैन, झुन्झुनूं राजस्थान से देवीलाल, विजय मील, राजकरण आदि अन्य लोगों ने कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी व मुख्य अतिथि युवा नेता रणधीर सिंह बुडानिया ने ऑनलाइन कांफ्रेंस के ज़रिए देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा- देश में फैल रही अराजकता व हिंसा को रोकना हम सबका कर्तव्य है। हम सबको यह समझना होगा कि हम हिंदू मुस्लिम बाद में हैं, पहले हम भारतीय हैं। हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए। आज हम आजाद भारत में सांस ले रहे हैं; हमें आजादी किन मूल्यों पर मिली, यह सभी को समझना चाहिए। हमारे देश में स्वाधीनता संग्राम के समय पूरे देश में एकता का जो वातावरण उत्पन्न हुआ, इससे पहले और बाद में कभी देखने को नहीं मिला। स्वाधीनता संघर्ष की सबसे प्रमुख विशेषता यह रही कि इसमें सभी जाति व धर्म के लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। सभी ने विविधता में एकता का परिचय देते हुए देश की आजादी के लिए बलिदान देने को तैयार हुए। यद्यपि ब्रिटिश सरकार ने भाषा और जातिगत आधार पर भारतीयों को अलग-थलग करने का बहुत प्रयास किया था, लेकिन वह अपने इस प्रयत्न में सफल नहीं हो पाये। एकता और अखंडता के कारण उनको यहां से भगा दिया गया था। वर्तमान समय में स्वतंत्रता प्राप्ति के अनेक वर्षों बाद हम लोगों ने खुद ही जाति, धर्म, क्षेत्र, भाषा तथा स्वार्थ और व्यक्तिगत हितों की पूर्ति हेतु ऐसी ओछी राजनीतिक संस्कृति का विकास किया। जिससे राष्ट्र के एकीकरण को खतरा पैदा हो गया। यह सब खत्म हो जाये तो देश तथा व्यक्तिगत विकास पर ध्यान दिया जा सकता है। इतिहास गवाह है उच्च पद पर आसीन लोगों ने जब भी अपने स्वार्थ को सिद्ध करने हेतु फैसले लिए हैं, जो भी बयानबाजियां की हैं, उसका खामियाजा सिर्फ और सिर्फ आम जनता को ही भुगतना पड़ा है। इसलिए हमारा आपसे विनम्र अनुरोध है कि दिलों में नफरत मिटाकर समाज और देश में शांति और भाईचारा स्थापित करें। भारतीय होने का भाव सभी धर्मों की मूल चेतना है और यही चेतना हमारे गौरव का आधार भी है। भारतीय होने के लिए किसी धर्म रूपी बैसाखी की नहीं अपितु मानवतावादी दृष्टिकोण की आवश्यकता है क्योंकि भारतीयता का कोई धर्म नहीं होता। भारतीयता तो मनुष्यता का पर्याय शब्द है। जो सभी के प्रति समान दृष्टि रखती है। हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति विश्व में सबसे निराली है।विविधता में एकता हमारे देश की पहचान है। कार्यक्रम की संचालिका रेनू मिश्रा दीपशिखा और आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस “वतन के नाम अमन का पैगाम” में भाग लेने वाले सभी बुद्धिजीवी, साहित्यकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आभार प्रकट किया।

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