सात वर्षिय बालक से किये गये कुकर्म के मामले में
झुंझुनूं, लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम तथा बालक अधिकारी संरक्षण आयोग अधिनियम के विशेष न्यायाधीश सुकेश कुमार जैन द्वारा दिये एक निर्णय में सात वर्षिय पीडि़त बालक से किये गये कुकर्म के मामले में एक अपचारी नाबालिग को पांच वर्ष के लिये सुरक्षित गृह में भेजने के आदेश देते हुये पांच हजार रूपये अर्थदण्ड भी जमा कराने का आदेश दिया है। न्यायालय ने अपने निर्णय में यह भी लिखा कि अपचारी बालक की शिनाख्त जो उस बालक के नाम, पते, विद्यालय या अन्य विवरण तथा फोटो से जाहिर हो सकती हो, ऐसी शिनाख्त किसी समाचार पत्र, पत्रिका, ओडिया, विडियो विजुअल या संचार के किसी अन्य माध्यम से जाहिर करना प्रतिबंधित है तथा दण्डिनीय अपराध है अर्थात समाचार पत्र आदि में प्रकाशन के समय किसी भी रूप में अपचारी बालक की पहचान जाहिर ना हो यह ध्यान रखा जाये। मामले के अनुसार 12 सितम्बर 2017 को सात वर्षिय पीडि़त बालक के पिता ने पुलिस थाना पचेरी कलां पर रिपोर्ट दी कि उसका पुत्र दोपहर को घर के बाहर खेल रहा था तथा वह घर पर नही था। उसके लडक़े को उसी के ग्राम का लडक़ा एक स्कूल में ले जाकर उसके साथ कुकर्म किया। बालक जब रोता हुआ आया तो उसने आकर घर पर पूरी बात बतायी आदि। इस रिपोर्ट पर पुलिस थाना पचेरी कलां ने मामला दर्ज कर बाद जांच अपचारी बालक के विरूद्ध पोक्सो एक्ट आदि के तहत आरोप पत्र किशोर न्यायालय बोर्ड झुंझुनूं में पेश किया किन्तु अपचारी बालक के 16 वर्ष से अधिक उम्र का पाये जाने पर तथा जघन्य प्रकृति का अपराध पाये जाने पर विचारण हेतु यह मामला पोक्सो न्यायालय में भेजा गया। राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे विशिष्ट लोक अभियोजक लोकेन्द्र सिंह शेखावत ने इस मामले में 13 गवाहान के बयान करवाये तथा 16 दस्तावेज प्रदर्शित करवाये। न्यायाधीश ने पत्रावली पर आई साक्ष्य का बारिकी से विश£ेषण करते हुये अपचारी बालक को उक्तानुसार आदेश देते हुये उसे पांच वर्ष के लिये सुरक्षित गृह में भेज दिया किन्तु अपचारी बालक को पीडि़त बालक के अपहरण के आरोप से अवश्य दोषमुक्त कर दिया। न्यायाधीश ने अपने आदेश में यह भी लिखा कि पीडि़त बालक को अपराध में पहुँची शारीरिक, मानसिक क्षति हेतु एक लाख रूपये प्रतिकर के रूप में भी प्रदान किये जाये। न्यायालय ने अपने निर्णय में यह भी लिखा कि अपचारी बालक के सुरक्षा गृह में रहने के दौरान सम्बन्धित सुरक्षा गृह अधीक्षक, परिवीक्षा अधिकारी द्वारा अपचारी बालक के शिक्षा, कौशल विकास, परामर्श, सुधारात्मक व्यवहार आदि सेवाएं प्रदान की जायेगी जो बालक के निरूद्ध रहने के दौरान उसके व्यक्तित्व विकास में सहायक हो।