रतनगढ़, [सुभाष प्रजापत ] गोगासर, आथुना बास में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण के द्वितीय दिवस शुक्रवार को कथा में अमर कथा और शुकदेवजी के जन्म का वृतांत का विस्तार से वर्णन किया गया। कथा वाचक कृष्णानंद महाराज ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि आप सब पर ठाकुर जी की कृपा है। जिसकी वजह से आप आज कथा का आनंद ले रहे है। श्रीमद भगवत कथा का रसपान कर पा रहें हैं क्योंकि जिन्हें गोविन्द प्रदान करते है जितना प्रदान करते है उसे उतना ही मिलता है। कथा सुनकर कुछ पाना चाहते हैं, कुछ सीखना चाहते है तो कथा में प्यासे बन कर आए, कुछ सीखने के उद्देश्य से, कुछ पाने के उद्देश्य से आएं, तो ये भागवत कथा जरूर आपको कुछ नहीं बल्कि बहुत कुछ देगी। मनुष्य जीवन विषय वस्तु को भोगने के लिए नहीं मिला है, लेकिन आज का मानव भगवान की भक्ति को छोड़ विषय वस्तु को भोगने में लगा हुआ है। उसका सारा ध्यान संसारिक विषयों को भोगने में ही लगा हुआ है। मानव जीवन का उद्देश्य कृष्ण प्राप्ति शाश्वत है। कृष्णानंद महाराज ने कहा कि हमारे जीवन का उद्देश्य कृष्ण को पाकर ही जीवन छोड़ना है और अगर हम ये दृढ़ निश्चय कर लेंगे कि हमें जीवन में कृष्ण को पाना ही है तो हमारे लिए प्रभु से बढ़कर कोई और सुख, संपत्ति या सम्पदा नहीं है।भागवत कथा श्रवण करने वालों का सदैव कल्याण करती है
कथा में महेश सहदेवड़ा, गोविंद तोषावड़, मुरलीधर पारीक, पुरुषोत्तम जोड़ा, हनुमान प्रसाद पुरोहित, त्रिलोकचंद तोषावड़, गंगाधर पांडिया, सागरमल आत्रेय, रामावतार तोषावड़, सी.एम. पुरोहित, श्रवण पारीक, विनोद तोषावड़, सांवरमल गील, महावीर प्रसाद चन्दनीया, बजरंग पांडिया आदि श्रोताजन उपस्थित थे।