सबसे जोखिम भरे माने जाने वाले बॉक्सिंग गेम में सादुलपुर में लड़कों से ज्यादा लड़कियां भाग ले रही है यूथ बॉक्सिंग टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीतने के लिए बेटियां जमकर पसीना बहा रही हैं। द्रोणाचार्य नेशनल बॉक्सिंग एकेडमी में बेटियां गोल्ड मेडल के लिए जमकर मेहनत कर रही है। लड़किया के बस की बात नहीं की धारणा को ठेंगा दिखाते हुए बॉक्सिंग जैसे खेल में आज की बेटियां लड़कों से भी दो दो हाथ करने के मूड में दिखाई पड़ती है। बॉक्सिंग में चोट लगने की संभावना बनी रहती है फिर भी तहसील की बेटियां इस गेम को चुन रही है। पूर्व में भी बॉक्सिंग में मेडल लाकर बेटियां तहसील को गौरान्वित कर चुकी है। वही अब भी बॉक्सिंग में बेटों से ज्यादा बेटियां ही पसीना बहा रही हैं। चूरू से आई अंजू ने बताया कि हम गोल्ड मेडल जीतकर दिखाना चाहती हैं कि अब हम लड़कियां लड़कों से कहीं भी कम नहीं है। इस बार यूथ चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल पर लड़कियों का कब्ज़ा रहेगा। ऐसा पूर्व भारतीय महिला बॉक्सिंग कोच द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित अनूप सारण का भी मानना है।