बुहाना[सुरेंद्र डैला] कस्बे के आस पास के गांव के विद्यार्थियों को रोज अपनी जान जोखिम में डालकर अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए बुहाना में आना पड़ता है गांव से हजारों बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं इन गांव के बच्चों को निजी बसों में सफर करना पड़ता है रोडवेज बसों का अभाव होने के कारण व निजी बस का कोई निश्चित समय नहीं होने से क्षमता से अधिक सवारियां बैठा लेना और बसों में सवारियां ऊपर बैठाकर विद्यार्थियों व ग्रामीणों को मौत का सफर करवा रहे हैं। जिससे ओवरलोड की वजह से हमेशा हादसा होने की आशंका बनी रहती है।बुहाना उपखंड में जाने वाली बसें ओवरलोड चलती हैं। उपखंड होते हुए भी यहां पर रोडवेज बसों की व्यवस्था नहीं है इसी कारण से निजी बसें मनमर्जी के टाइम से चलना मनमर्जी की सवारियां बैठा कर ले जाने के बाद भी प्रशासन इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। पढ़ाई के लिए बच्चों को मजबूरन निजी बसों में सफर करना पड़ता है विद्यार्थियों द्वारा पढ़ाई नहीं अपनी जान से लड़ना पड़ता है
रोडवेज बसों का अभाव है बड़ी वजह
निजी बसों वालों ने कानून के नियमो की धज्जियां उड़ा कर नजर आ रही है जो कि ऊपर नीचे से सवारियों से खचाखच भर कर चलती हैं जिन पर पुलिस कोई कारवाई नहीं कर रही है ग्रामीणों द्वारा कई बार रोडवेज बसों के लिए आवाज उठाई गई है उसके बावजूद भी बुहाना को रोडवेज बसों से नहीं जोड़ा गया है चुनाव टाइम में नेताओं द्वारा आश्वासन दिया जाता है बूहाना को रोडवेज बसों से जोड़ दिया जाएगा।चुनाव के बाद उस बात पर कोई भी नेता ध्यान नहीं देता है उसी के साथ प्रशासन भी इस बात पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है