सूरजगढ़, राष्ट्रीय साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में संस्थान के कार्यालय सूरजगढ़ में अभिभाषक संघ के अध्यक्ष एडवोकेट रामेश्वरदयाल की अध्यक्षता में महिला सशक्तिकरण की प्रतीक विश्व स्तरीय महान सामाजिक कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी, भारत देश की प्रथम महिला मजिस्ट्रेट, अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की स्थापना करने वाली क्रांतिकारी महिला, महिलाओं को वोट का अधिकार दिलाने वाली मताधिकारवादी, शिक्षाविद् व दार्शनिक, लेखक, हमारे राष्ट्रगान जन गण मन की धुन बनाने वाली संगीतकार, भारत देश के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाली भारत प्रेमी महिला थियोसॉफिस्ट मार्गरेट कजिन्स की जयंती मनाई। महान क्रांतिकारी महिला मार्गरेट कजिन्स के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए उनके जीवन संघर्ष को याद किया। शिक्षाविद् राजपाल सिंह फोगाट, धर्मपाल गाँधी, प्रिया कुमारी, शिक्षाविद् नरेंद्र मान, योगा खिलाड़ी संदीप कुमार, रतन सिंह खरड़िया आदि वक्ताओं ने सभा को संबोधित किया। मार्गरेट कजिन्स एक महान क्रांतिकारी महिला थीं, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भारत की आजादी और महिलाओं के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। हमारा राष्ट्रगान जन गण मन… महज छंदों के एक संग्रह में सिमट कर रह सकता था। लेकिन आयरिश महिला मार्गरेट कजिन्स ने इस संग्रह को धुन देकर इसे गीत में परिवर्तित कर दिया और बाद में यह राष्ट्रगान बना। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने बताया कि मार्गरेट कजिन्स का जन्म 7 नवंबर 1878 को आयरलैंड में हुआ था। उन्होंने डबलिन में रॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ आयरलैंड में संगीत का अध्ययन किया। 1902 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और एक शिक्षक बन गई। एक छात्रा के रूप में उनकी मुलाकात कवि और साहित्यकार जेम्स कजिन्स से हुई और उन्होंने 1903 में उनसे शादी कर ली। इस जोड़ी ने एक साथ समाजवाद, शाकाहार और मनोवैज्ञानिक अनुसंधान की खोज की। 1906 में, मैनचेस्टर में महिलाओं के राष्ट्रीय सम्मेलन की बैठक में भाग लेने के बाद कजिन्स NCW की आयरिश शाखा में शामिल हो गईं। 1907 में उन्होंने और उनके पति ने थियोसोफिकल सोसाइटी के लंदन सम्मेलन में भाग लिया। सन् 1915 में मार्गरेट कजिन्स अपने पति जेम्स कजिन्स के साथ भारत आ गई। 1916 में वह पूना में भारतीय महिला विश्वविद्यालय की पहली गैर भारतीय सदस्य बनीं। 1917 में मार्गरेट कजिन्स ने एनी बेसेंट और डोरोथी जिनाराजादासा के साथ मिलकर ‘महिला भारतीय संघ’ की स्थापना की। उन्होंने WIA की पत्रिका स्त्री धर्म का संपादन किया। पत्रिका के प्रभावशाली लेखों के माध्यम से वे शिक्षित महिलाओं को जागृति का संदेश देती रहीं। शिक्षित महिलाओं तक अपने विचार पहुंचने के लिए स्त्री धर्म पत्रिका सशक्त माध्यम था। मार्गरेट कजिन्स मताधिकारवादी थी, उन्होंने शुरू से ही महिलाओं को वोट डालने का अधिकार देने की पैरवी की। 1921 में उनकी मेहनत रंग लाई और मद्रास प्रेसीडेंसी में महिलाओं को वोट डालने का अधिकार मिला। 1919-20 में वे मैंगलोर में नेशनल गर्ल्स स्कूल की पहली प्रमुख थी। 1922 में मार्गरेट कजिन्स भारत की पहली महिला मजिस्ट्रेट बनी। मद्रास प्रेसीडेंसी के चिंगलपेट जिले के कलेक्टर गैलेट्टी द्वारा मार्गरेट कजिन्स को मजिस्ट्रेट का पद दिया गया। इस दिशा में महिलाओं के लिए मार्ग खुल सके इस दृष्टि से उन्होंने मजिस्ट्रेट का पद स्वीकार कर लिया। इसके बाद मार्गरेट कजिन्स के प्रयासों से मद्रास सरकार ने गवर्नर को महिला प्रतिनिधि मनोनीत करने तथा महिलाओं को चुनाव लड़ने का अधिकार प्रदान कर दिया। अब महिलाओं को वोट देने का ही नहीं वरन् विधानसभा में बैठकर कानून बनाने का भी अधिकार मिल गया। 1927 में उन्होंने अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की स्थापना की और 1936-37 में इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 1932 में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बोलने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और जेल में डाल दिया गया। वह ध्वज प्रस्तुति समिति की सदस्य थी, जो संविधान सभा में हंसा मेहता के नेतृत्व में 74 भारतीय महिलाओं की एक समिति थी। समिति ने 14 अगस्त 1947 को भारत की महिलाओं की ओर से सदन में भारत का राष्ट्रीय ध्वज प्रस्तुत किया। मार्गरेट कजिन्स ने अपना संपूर्ण जीवन महिलाओं के अधिकारों और भारत देश की आजादी के लिए समर्पित किया। 11 मार्च 1954 को मद्रास में मार्गरेट कजिन्स का निधन हो गया। ऐसी महान शख़्सियत को हम नमन करते हैं। इस मौके पर सूरजगढ़ अभिभाषक संघ के अध्यक्ष एडवोकेट रामेश्वरदयाल, समाजसेवी इन्द्र सिंह शिल्ला, रतन सिंह खरड़िया, योगाचार्य डॉ. प्रीतम सिंह खुगांई, राधेश्याम बाकोलिया, बृजमोहन सौंकरिया, रामेश्वरलाल लोवाड़िया, नरेंद्र मान, राजपाल सिंह फोगाट, जगदीश प्रसाद बरवड़, चंद्रवीर बुडानिया भापर, उम्मेद सिंह शिल्ला भोबियां, रणवीर सिंह ठेकेदार, संदीप बरवड़, मुंशीराम, धर्मपाल गाँधी, प्रिया कुमारी, अंजू गाँधी, संदीप कुमावत, सोनिया, सारिका आदि अन्य लोग मौजूद रहे। योगाचार्य डॉ. प्रीतम सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।