झुंझुनू जिले के चिड़ावा शहर में स्थित सब्जी मंडी की सफाई व्यवस्था बदहाली की शिकार है यदि कहे की वहा पर सफाई व्यवस्था का कोई प्रबंधन नहीं है तो भी अतिश्योक्ति नहीं होगी। सब्जी मंडी में गंदगी और अव्यवस्थाओ का बोलबाला है जिसके चलते उधर से गुजरना भी मुश्किल हो चला है। सब्जी मंडी के दो दो गेट हैं उनके अंदर कचरे और कीचड़ द्वारा आगंतुकों का स्वागत किया जाता है। कहने को लिए वहां शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं तैयार की गई है। उनका इस्तेमाल करने से पहले उन तक पहुंचना भी एक चुनौती है। जी हाँ गंदगी से अटे पड़े शौचालयों के इस्तेमाल करने की सोचने पर भी किसी भी व्यक्ति को उल्टी आ सकती है। सब्जी मंडी में सुबह तीन बजे से ही लोगो का आना शुरू हो जाता है। परेशानी की स्थिति के चलते लोग खुले में ही शौच कर जाते है। शहर के बीचों बीच ये हालत है और हम जिले को ओ डी एफ यानि खुले में शौच से मुक्त करने की बात करते है। कचरे और गंदगी के बीच आवारा पशु अठखेलिया करते देखे जा सकते है। वही सब्जी मंडी के सामने सेखसरिया उच्च माध्यमिक विद्यालय भी स्थित है जिसके अंदर तक दुर्गन्ध जाकर देश के नौनिहालों और राष्ट्र निर्माता शिक्षकों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। रास्ते से छोटे-छोटे बच्चे स्कूल में आते हैं और सब्जी मंडी में गंदगी से खेलते आवारा पशुओं के कारण कई बार ये छोटे बच्चे दुर्घटना का शिकार होते होते बच जाते है। इस सब्जी मंडी का क्या प्रबंधन है किस तरह से इसका संचालन किया जाता है वह हमारी चर्चा और चिंता का विषय नहीं है हमारी चर्चा या चिंता का विषय यह है कि जो सामूहिक रुप से लोगों के स्वास्थ्य से यहां पर खिलवाड़ हो रहा है उसको प्रशासन को हस्तक्षेप कर तुरंत प्रभाव से रोका जाना चाहिए। निजी संपत्ति के नाम पर स्वच्छ भारत अभियान का माखौल उड़ाने की छूट किसी को भी नहीं दी जानी चाहिए। यह मामला मण्डी में आने वाले व्यापारियों के साथ आस पास के लोगो के सामुदायिक स्वास्थ्य से भी जुड़ा है जिसके चलते इसके सामाजिक सरोकार से भी मुँह नहीं मोड़ा जा सकता।