सामाजिक उधमिता सलाहकार व अधिवक्ता प्रदीप पूनियाँ नें युनाइटेड नेशंस क्लाइमेट चेंज कान्फ्रेंस का 24 वां अधिवेशन जो कि पोलेड के काटोवाइश शहर मे आयोजित हो रहा है। क्लाइमेट चेंज एण्ड इट्स इमपेकटस आन एग्रीकल्चर इन इडिया विषय पर अपना प्रस्तुतिकरण देते हूए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी द्वारा नवाचार युक्त तकनीकीयो व बाईटेकनालोजी की विभिन्न विधाओं से जलवायु परिवर्तन के विभिन्न खतरो से कृषि को बचाने व उत्पादन की मात्रा को बढाने पर बल दिया। साथ ही कृषि का सकल घरेलू उत्पाद (जी डी पी ) मे 19 प्रतिशत हिस्सा होने व 60 प्रतिशत से ज्यादा लोगों की संख्या कृषि व उसकी सहायक गतिविधियों में कार्यशील होने से यह देश के लिए रोजगार का भी महत्वपूर्ण श्रोत बताते हुए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को रोकने हेतु यथाशीघ्र प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया । विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव ज्यादा दृष्टिगत होता है क्योंकि इनकी अर्थव्यवस्था में कृषि का बहुत बड़ा योगदान होता है परंतु जलवायु परिवर्तन के कारण 15 – 20 प्रतिशत की उत्पादन क्षमता में कमी आई है । ऐसी संकटापन स्थितियों से न केवल भुखमरी व जीवन यापन का संकट होगा अपितु मानव विकास की मूलभूत अवधारणा से आम जनजीवन भी फलीभूत नही होगा। इस कान्फ्रेंस में क्लाइमेट चेंज व ग्लोबल वार्मिंग विषय पर सदस्य राष्ट्रों द्वारा चितन व अनुशीलन कर कार्बन स्तर को एक लेवल तक सीमित रखना है ।