विद्यार्थियों को मानसिक संबल एवं सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोचिंग संस्थान बच्चों से स्वयं प्रमाणित फॉर्म भरवाए तथा वैलनेस सेंटर स्थापित कर उनकी कॉउंसलिंग करें — जिला कलेक्टर डॉ. यादव
सीकर, जिला कलेक्टर डॉ. अमित यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभागार में जिला स्तरीय कोचिंग संस्थान निगरानी समिति की बैठक आयोजित हुई। बैठक में जिले में संचालित कोचिंग संस्थानों पर प्रभावी नियंत्रण तथा इसमें अध्यनरत विद्यार्थियों को मानसिक संबल एवं सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोचिंग संस्थानों के लिए विस्तृत दिशा निर्देश दिए गए। बैठक में जिला कलेक्टर डॉ. अमित यादव ने कहा की विद्यार्थियों को मानसिक संबल देने के लिए मेंटल हेल्थ अवेयरनेस बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए उन्होंने कोचिंग संस्थानों के संचालकों को निर्देशित किया कि वें कोचिंग में अध्यनरत विद्यार्थियों से उनके विचारों और मानसिक स्थिति से संबंधित सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म भरवाए तथा उनमें जो विद्यार्थी ज्यादा वल्नरेबल लगे उनकी काउंसलिंग करवाई जाए। वहीं सभी कोचिंग सेंटर में वेलनेस सेंटर स्थापित किया जाए। उन्होंने कहा कि वेलनेस सेंटर्स के काउंसलर्स को सीकर मेडिकल कॉलेज और एआईआईएमएस दिल्ली के विशेषज्ञ द्वारा ट्रेनिंग दिलाई जाएगी तथा संस्थानों को निर्देशित किया गया कि वें सुनिश्चित करें की बच्चें रात में नो-दस बजे के बाद जरूरी काम होने पर ही बाहर जाए।
जिला कलेक्टर डॉ. यादव ने पुलिस विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि शहर में डीजे और लाउडस्पीकर पर पाबंदी के दिशा—निर्देशों की पूर्ण पालना करें तथा नशा संबंधी गतिविधियों की लगातार मॉनिटरिंग करें। उन्होंने कहा कि सभी कोचिंग संस्थान आपस में समन्वय बनाकर एक ऑनलाइन एप सिस्टम बनायें जिस पर सभी कोचिंग संस्थानों की सभी गतिविधियों की जानकारी हो ताकि प्रशासन भी आसानी से भी इसको मॉनिटर कर सकें। बैठक में उपस्थित मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि वें बच्चों द्वारा सुसाइड से संबंधित रिपोर्टिंग को तय नियमों और गाइडलाइन के अनुसार ही प्रसारित करें।
बैठक में जारी विस्तृत दिशा—निर्देशों के अनुसार कोचिंग संस्थान अपने विज्ञापनों में मिथ्या प्रचार—प्रसार और जूठे दावे न करें तथा इसकी प्रभावी निगरानी के लिए न्यूजपेपर में प्रकाशित होने वाले विज्ञापनों की कॉपी सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय को भिजवाना सुनिश्चित करें, अपने ब्रोकर्स में सफलता दर एवं सिलेक्शन की गारंटी नहीं है तथा सरल एंट्री एग्जिट पॉलिसी और रिफंड के बारे में जानकारी निश्चित रूप से प्रकाशित करें।
जिला कलेक्टर ने कहा कि विद्यार्थियों को वैकल्पिक कैरियर की जानकारी दी जाएं तथा कोचिंग संस्थान टेस्ट रिजल्ट प्रकाशित नही करें तथा अंको पर आधारित बैच ना बनाएं क्यूंकि यह बच्चों में मानसिक तनाव का मुख्य कारण होता है। उन्होंने निर्देश दिए है कि कोचिंग संस्थानों में ई—लर्निंग सेंटर स्थापित किए जाए ताकि अगर कभी बच्चा किसी कारणवश अनुपस्थित हो तो बाद में वो रिकॉर्डेड लेक्चर ले सके। बच्चों की शंकाओं को उसी टीचर द्वारा दूर किया जाए जिसने पढ़ाया है साथ ही बच्चों को फीडबैक फॉर्म उपलब्ध कराया जाए तथा समस्त कोचिंग संस्थान और छात्रावासों में अध्ययनरत और रहने वाले बच्चों का पुलिस वेरिफिकेशन सुनिश्चित करें तथा प्रत्येक कोचिंग संस्थान बच्चों का मूवमेंट रजिस्टर भी रखें। इसके अलावा प्रवेश द्वार पर सुरक्षा गार्ड और सीसीटीवी कैमरों की उपस्थिति सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि बच्चों की समस्याओं का सही समय पर निर्धारण करने के लिए हेल्पडेस्क बनाई जाए तथा डीओआईटी को निर्देश दिए कि शहर में चल रहे साइबर कैफे विभाग द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार ही संचालित हो रहे हैं या नहीं इसकी जानकारी प्राप्त करना सुनिश्चित करें।
बैठक में अतिरिक्त जिला कलेक्टर राकेश कुमार, सीएमएचओ डॉ. निर्मल सिंह, प्रिंसिपल मेडिकल कॉलेज डॉ. के.के. वर्मा, सहायक निदेशक प्रशासनिक सुधार विभाग राकेश कुमार लाटा, सहायक निदेशक महिला अधिकारिता अनुराधा सक्सेना, यूआईटी सचिव राजपाल यादव सहित निगरानी समिति के सभी सदस्य तथा शहर की कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधि एवं मीडिया कर्मी उपस्थित रहे।