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समुदाय विसर्जन : स्वंय बदलाव से समुदाय बदलाव की ओर एक प्रयास

झुंझुनू, पीरामल फाउंडेशन द्वारा देश के विभिन्न राज्यों में चलाये जा रहे प्रोग्राम गांधी फेलोशिप के तहत अलग अलग राज्यों से आये युवा गांधी फेलो एक माह समुदाय रहते हुए वहां की वेशभूषा, संस्कृति, खानपान, रहन सहन आदि को समझते हुए उसको अनुभव करते हैं | इस प्रक्रिया के तहत गांधी फेलो समुदाय एवं उसके आसपास की समस्याओं को समुदाय के लोगों की मदद से समझने का प्रयास करते हैं और समुदाय में रह रहे लोगों की तरह जीवनयापन एवं दैनिक प्रक्रियाओं को अनुभव करते हैं |

समुदाय विसर्जन के तहत गांधी फेलो गजानन ने समुदाय में रह रहे लोगों एवं उनके दैनिक कार्यों को अनुभव करने हेतु खेतों में जाकर मजदूरी की और एक मजदूर की जीवनशैली को अनुभव करते हुए समझने का प्रयास किया | इस दौरान फेलो ने खेतों में निराई की और किसानों एवं मजदूरों से स्थानीय संदर्भ में हो रही खेती के अनुभवों एवं सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं जैसे ‘मनरेगा’, किसान बीमा योजना, खरीफ व रबी की फसलों का मौसम एवं उनका उत्पादन आदि | पूरे दिन मजदूरी करने के उपरान्त कमाई गई राशी के माध्यम से फेलो ने ये प्रण लिया कि वह इसको देरवाला गाँव में पढने वाले विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए उपयोग में लेंगे |

इसके अलावा गांधी फेलो गजानन ने गाँव के मजदूरों, किसानों, एवं युवाओं के साथ समूह के रूप में उनके व्यक्तिगत विचारों एवं गाँव के विकास में उनकी भूमिका को लेकर बातचीत की | साथ ही साथ युवाओं के साथ समूह में खेल कूद एवं शिक्षा के महत्त्व को लेकर चर्चा की और समझने का प्रयास किया कि युवा किस प्रकार 12 वीं के बाद अपने कैरियर को देखते हैं और उसको लेकर वह किस तरह की प्लानिंग कर रहे हैं | पीरामल फाउंडेशन के अशगाल खान ने बताया कि सामुदायिक विसर्जन देश के अलग अलग राज्यों से आये युवा गांधी फेलो को ऐसे मौके प्रदान करता है जहाँ वह समुदाय में रहते हुए अलग अलग तरह की चुनौतियों, समस्याओं, वेशभूषा, संस्कृति, आदि को अनुभव करते हैं और समुदाय के साथ मिलकर वहां की स्थानीय दशा को समझने का प्रयास करते हैं और उनको हल करने के लिए गाँव के लोगों के साथ मिलकर प्लानिंग करते हैं|

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