पशुचारे की बढ़ती कीमतों के बीच
चूरू, सांसद राहुल कस्वां ने शुक्रवार को लोकसभा में शून्यकाल के तहत्त पशु चारे की बढ़ती कीमतों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि राजस्थान वर्षा आधारित कृषि वाला क्षेत्र है, जहां अधिकतर समय सूखे की वज़ह से पशुचारे का उत्पादन उचित मात्रा में नहीं हो पाता है। अत: हमारे संसदीय क्षेत्र चुरू के साथ-साथ समुचे प्रदेश को पशुचारे के लिये अन्य राज्यों जैसे पंजाब व हरियाणा पर निर्भर रहना पड़ता है। राजस्थान के किसान पशुचारे के रूप में गेहूं का भूसा (तूडी़) का उपयोग करते हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से तूड़ी (पशुचारे) की कीमतों में काफी वृध्दि हो गई है। विगत वर्ष जहां 300-350 रू. प्रति क्विंटल में यह तूड़ी आसानी से उपलब्ध होती थी, वहीं आज इसकी कीमतें तीव्र वृध्दि के साथ 900 से 1300 रू. प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं। पशुचारे की दरों में तीव्र वृध्दि के कारण पशुपालकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सांसद कस्वां ने कहा कि उपरोक्त गंभीर स्थिति को देखते गांवों में संचालित गौशालाओं की अनुदान राशि में बढो़तरी की जाये। साथ ही सड़क एवं परिवहन मंत्रालय द्वारा गाइडलान जारी करते हुए चारा लाने वाले वाहनों को टोल टैक्स व आरटीओ टैक्स में रियायत दी जाये; ताकि पशुपालकों व गौशालाओं को राहत मिल सके। इसके अलावा सांसद ने कहा कि जिस प्रकार से पशुचारे की कीमतों में इजाफा हो रहा है, उसके अनुरूप दुध की कीमतें किसान पशुपालकों को नहीं मिल पा रही हैं। अत: केन्द्र सरकार पशुपालकों के हित्त में अतिशीघ्र ठोस कद़म उठाये, जिससे इस मंहगाई के दौर में किसान पशुपालकों को लाभान्वित किया जा सके।