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नवजात शिशुओं को फैंके नहीं पालनगृह में छोड़े – झुंझुनू जिला कलेक्टर

जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने लावारिस नवजात शिशु को इधर-उधर डालने वाले लोगों से अपील की है कि वे ऎसा नहीं करें। अगर उन्हें ये शिशु नहीं चाहिए, तो वे जिला मुख्यालय स्थित बीडीके अस्पताल में लगे पालनगृह में शिशु को छोड़कर जा सकते हैं। इसके लिए उनकी पहचान गुप्त रखी जाएगी। जिला कलेक्टर ने आश्वसत किया है कि पालनगृह के पास किसी भी प्रकार के कैमरे नहीं लगाए गए है। उन्होंने बताया कि माता-पिता या संरक्षक के विरूद्ध कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं की जाएगी। उन्होंने सामाजिक क्षेत्र से जुड़े लोगों और चिकित्सा सेवाओं से जुड़े कार्मिकों एवं आमजन से भी ऎसे घृणित कार्य में सहयोग नहीं करने तथा नवजात को पालनगृह तक पंहुचाने में हर संभव मदद करने की अपील की। बाल अधिकारिता जिला बाल संरक्षण ईकाई के सहायक निदे6ाक पवन पूनिया ने बताया कि माता-पिता द्वारा अवांछित बालक/बालिका के सुरिक्षत परित्याग के लिए सरकार ने जिला स्तर पर राजकीय भगवानदास खेतान अस्पताल में पालना आश्रय (के्रडल पॉइन्ट) बनाया हैं। इस पालने को लगाने का मकसद है कि अनचाहे नवजात को लावारिस फेकने के बजाय यहॉ छोड़ा जायें क्योंकि ऎसे नवजात के संरक्षण की जिम्मेदारी सरकार लेती हैं। पालना गृह में कोई भी व्यक्ति नवजात को समर्पित/परित्याग करता है तो छोड़ने वाले की पहचान गुप्त रखी जावेगी। नवजात को छोड़ने वाले को किसी भी प्रकार की कानूनी कार्यवाही का सामाना नहीं करना पड़ेगा। पालना में इलेक्ट्रोनिक अलार्म लगा हुआ है, जिसमें घंटी बजने के प6चात् तुरन्त अस्पताल के स्टॉफ द्वारा पालना से नवजात का स्वास्थ्य परीक्षण कर समुचित देख-भाल शुरू कर दी जाती है। उन्होंने बताया कि 24 दिसम्बर को रात्रि 2 बजे तेज सर्दी में मुकुन्गढ़ कस्बे में बच्ची लावारिस हालत में मंदिर के पास मिली। ऎसी घटनाएं जिले के लिए शर्मसार है। सरकार द्वारा लावारिस मिले सभी नवजातो को गोद देने की प्रक्रिया बाल अधिकारिता विभाग के माध्यम से की जाती हैं।

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