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राजस्थान के दलितों ने जारी किया दलित घोषणा पत्र

सीकर/जयपुर, अनुसूचित जाति अधिकार अभियान के तत्वावधान में इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान, जयपुर में राजस्थान अनुसूचित जाति वर्ग का घोषणा पत्र 2023 जारी किया गया। जनमंच ‘हक है, खैरात नहीं‘ में सीकर जिले से मोहन बाजोर व संजू वर्मा मुण्डरू ने भाग लिया। मोहन बाजोर ने बताया कि सुमन देवठिया व कान्ता सिंह के नेतृत्व में राज्य भर से आई दलित महिलाओं के पैनल द्वारा ‘राजस्थान अनुसूचित जाति वर्ग घोषणा पत्र 2023‘ जारी किया गया।

अनुसूचित जाति अधिकार अभियान के संयोजक पूर्व पुलिस महानिरीक्षक सत्यवीर सिंह ने बताया कि राजस्थान के 18% अनुसूचित जाति की आबादी के मुद्दों को लेकर दलित घोषणा पत्र बनाया गया तथा उस मसौदे को लेकर राज्य भर में एक माह तक सामाजिक न्याय यात्रा निकाली गई, जिसने पचास जिलों के 100 स्थानों पर जन संवादों के ज़रिये विस्तृत विचार विमर्श के बाद यह घोषणा पत्र तैयार किया है,जिसे आज जारी किया गया. अनुसूचित जाति अधिकार अभियान राजस्थान द्वारा इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान में आयोजित जन मंच के दौरान राजनीतिक दलों के साथ संवाद भी किया गया.इसमें कांग्रेस की घोषणा पत्र समिति के सदस्य एवं युवा बोर्ड के अध्यक्ष सीताराम लांबा, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के युवा प्रदेशाध्यक्ष रणदीप सिंह चौधरी, आम आदमी पार्टी के जयपुर लोकसभा क्षेत्र के अध्यक्ष अर्चित गुप्ता, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के डॉक्टर संजय माधव, भाकपा माले की नेता कामरेड मंजु लता मौजूद रही,इस अवसर पर मज़दूर किसान शक्ति संगठन से जुड़े सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे भी मौजूद रहे।

राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने इस दलित घोषणा पत्र में शामिल सभी मुद्दों को अपने- अपने दल के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर घोषणा पत्र के मुख्य बिंदुओं पर एडवोकेट सतीश कुमार और डॉक्टर नवीन नारायण ने बात रखी. इस अवसर पर निखिल डे ने कहा कि दलित संगठनों द्वारा राज्य भर में घोषणा पत्र निर्माण हेतु की गई प्रक्रिया की सराहना करते हुए इस दस्तावेज को ऐतिहासिक बताया, उन्होंने कहा कि चुनाव के दरमियान निगरानी रखनी होगी,हर क्षेत्र में ऐसे ही जनमंच आयोजित करने होंगे.उन्होंने कहा कि अधिकार माँगना हम सबका हक़ है, सरकारें इन्हें दे कर कोई ख़ैरात नहीं कर रही है।

अनुसूचित जाति अधिकार अभियान राजस्थान के सह संयोजक भंवर मेघवंशी ने बताया है, हम इस ऐतिहासिक दस्तावेज को राजस्थान के हर विधानसभा तक लेकर जायेंगे.चुनाव लड़ रहे हर उम्मीदवार की समाज के लिए जिम्मेदारी व जवाबदेही तय करेंगे, हम राजस्थान के इतिहास में पहली बार सभी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सोशल स्क्रीनिंग करेंगे हम देखेंगे कि जो भी व्यक्ति दलित अत्याचार के प्रकरणों में शामिल रहा है या उसने किसी भी तरह आरोपियों की मदद की है,हम ऐसे व्यक्ति को कतई स्वीकार नही करेंगे और सभी दलों को अवगत करवाकर ऐसे व्यक्ति को उम्मीदवार नही बनाने की मांग करेंगे। अनुसूचित जाति अधिकार अभियान के सह संयोजक तारा चंद वर्मा ने बताया कि अधिकांश वक्ताओं ने इस घोषणा पत्र को राजस्थान का ही नही पूरे देश के अनुसूचित जाति वर्ग का घोषणा पत्र बताया औऱ आश्वस्त किया कि इस दस्तावेज को लागू करने के संघर्ष में हम सब साथ है। जन मंच में डॉक्टर महेंद्र कुमार आनंद, गणपत लाल मेहरा,कंचन वर्मा, विनोद वर्मा, ग्रीजेश दिनकर, कैप्टन के एल सिरोही, पूरण मल बेरी, मांगी लाल बुनकर,बजरंग मनोहर, मांगी लाल भूतिया, डॉक्टर सतीश, घनश्याम बोयत,मोहन लाल यादव, वसंत जी रॉयल,इंजिनियर देव कृष्ण. हरी मंडावरा आदि ने बात रखी। कार्यक्रम को सफल बनाने में अमृत लाल अटोरिया,राम निवास दहिया ,मोहन लाल वर्मा ,राम निवास राघव ,डॉ भूदेव सिंह ,चन्दा लाल बैरवा ,गोविद भाटी,मातादीन सामरिया ,विनोद गह्नोलिया,रेनू गेंगट,जगन जातव ,श्रवण वर्मा इत्यादि की भूमिका सराहनीय रही। इस मौक़े पर सामाजिक संगठनों से डॉक्टर रेणुका पामेचा,निशा सिद्धू,समग्र सेवा संघ के अध्यक्ष सवाई सिंह, मुकेश निर्वासित,कमल टाक, संयुक्त किसान मोर्चा के गुरप्रीत संघा,भूपेन्द्र आलोरिया, वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारेठ, पारस बंजारा,ममता जैतली, विजय गोयल, शिव नयाल, नृत्यांगना प्रियाक्षी, डॉक्टर नेसार अहमद, सांवर अलाय, विनीत अग्रवाल सहित दर्जनों सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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