दाँता के अन्तर्गत आते थे दस गढ़
दाँतारामगढ़, [लिखा सिंह सैनी ] दाँता की नाग पहाड़ी पर बनें है दो ऐतिहासिक किले इनका निर्माण दाँता के द्वितीय राजा शासक ठाकुर रतनसिंह ने विक्रम संवत 1795 मे सन् 1739 में करवाया था। उसी समय दाँता में नृसिंह मंदिर भी बनवाया था नाग पहाड़ी के मुख में कालीमाता का मंदिर भी बना है । गढ़ के अन्दर दो सुरंग भी बनी हुई थी एक गढ़ के पश्चिमी दिशा में नलापति बालाजी मंदिर के कुए में निकलती थी । युद्ध के दौरान कुए से पानी लाने के लिए बनाई गई थी दुसरी सुरंग नीचे वाले गढ़ के पास निकलती थी । उस समय सुरक्षा की दृष्टि से पहाड़ी पर किले गढ़ बनाने अतिआवश्यक थे । पहाड़ी पर बनें गढ़ में आखिर उदयसिंह का राज दरबार लगता था । उसके बाद राज दरबार नीचे वाले गढ़ मे लगता था । गढ़ के पश्चिमी दिशा व उत्तर दिशा मे जलदाय विभाग की पानी की सप्लाई करने के लिए टंकी बनी हुई है । पिछले कुछ सालो से पहाड़ी के खनन पर रोक लगा दी गई है । सन् 1988 में जब ठाकुर ओमेंद्रसिंह दाँता के सरपंच बने थे उस समय गढ़ पर विद्युत बिजली लगा कर लाईटे लगवाई थी उसी समय दाँता के युवा नवरात्रो में रामायण पाठ करते थे कुछ समय बाद फिर बन्द हो गए । दाँता के अन्तर्गत दस गढ़ आते थे तीन दाँता में और एक एक डांसरोली, सुरेश – मंढ़ा , सामी – सेसम आदि जगह पर थे । दाँता के नीचे वाले गढ़ का निर्माण ठाकुर भवानीसिंह ने विक्रम संवत 1811 मे करवाया था । वर्तमान में दाँता के तीनो गढ़ राजपरिवार के अधिन है नीचे वाले गढ़ मे आज भी दाँता संस्थापक ठाकुर अमरसिंह जी के 17 वीं पीढ़ी के वासिंदे निवास करते है ।