दांता के किसान पति-पत्नी ने बनाई देश दुनिया में अलग पहचान , कृषि बजट के लिए भी बतायें सुझाव
किसान दिवस पर विशेष
दांतारामगढ़, [लिखा सिंह सैनी ] राष्ट्रीय किसान दिवस जो भारत में देश के पांचवें प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह की जयंती के मौके पर मनाया जाता है। किसानों के मसीहा माने जाने वाले चौधरी चरण सिंह ने भारतीय किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए कई सुधार कार्य किए थे।
कोई यूं ही नहीं कहलाता है किसान अन्नदाता, कभी किसी खेत में जाकर किसान की हालत तो देखिए वो किस तरह फसलों को पानी देता है।
15 लीटर दवाई से भरी हुई टंकी पीठ पर लाद कर छिड़काव करता है। 20 किलो खाद की तगारी उठा कर खेतों में घुम ,घुम कर फसल को खाद देता है।अघोषित बिजली कटौती के चलते रात,रात भर बिजली चालू होने के इंतजार में जागता है।
चिलचिलाती धूप में सिर का पसीना पैर तक बहाता है।
जहरीले जंतुओं का डर होते हुए भी खेतों में नंगे पैर घूमता है।फसलों को पशु ,पक्षियों ,किट – पंतगों ओर ओलावृष्टि व बिचौलियों से कैसे जैसे बचा कर कुछ रुपये बचा पाता है।
जिस दिन यह वास्तविकता आप अपनी आंखों से देख लेगे,
उस दिन आप भी एक मजदूर किसान का दर्द समझ सकेंगे।
प्रगतिशील किसान कृषि वैज्ञानिक सुंडाराम वर्मा
राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत व नवाचारी किसानों के “गुरूजी” के नाम से जाने वाले दांता कस्बे के प्रगतिशील किसान कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर सुंडाराम वर्मा को नई दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 8 नंवबर 2021को पद्मश्री पुरस्कार देखकर सम्मानित किया । एक लीटर पानी में पेड़ लगाने की तकनीकी विकसित करने पर व कृषि क्षेत्र में नई ,नई तकनीक विकसित करने पर मिला था पद्मश्री पुरस्कार ,कम समय में उन्नत फसलों की पैदावार बढ़ाने को लेकर भी किये है बहुत से शोध कार्य कर देश विदेश में पहचान बनाई है।दांतारामगढ़ क्षेत्र में घट रहे जलस्तर के संकट को देखते हुए बरसाती पानी का जल संचयन किया, जल संचयन कर साल भर करते है खेती। वर्मा ने बरसाती पानी का लगभग 20 लाख लीटर पानी का संचयन किया एवं स्वयं के कृषि फार्म में 1 हेक्टेयर में अनार का बगीचा व 1 हेक्टेयर में सेनणा के पेड लगे हुए है। अनार के बगीचे में 0.66 हैक्टेयर में प्लास्टिक बिछाकर बरसाती पानी का संचयन किया है । बारिश के पानी से 2 हैक्टेयर में पैड़ो और 1 एकड़ में लगी सब्जी को पानी देकर अच्छा उत्पादन कर रहे है। क्षेत्र में पानी की ज्यादा कमी है तो सभी किसान भाईयों को वर्षा का पानी संचयन करना चाहिए इसके लिए सरकार अनुदान राशि भी देती है ।राज्य सरकार अगले साल में किसानों के लिए अलग से कृषि बजट पेश करेगी जिसके लिए किसानों से सुझाव मांगे है तो पद्मश्री वर्मा ने भी अपने सुझाव बताये है ।
वर्मा ने कृषि बजट के लिए भी बतायें सुझाव
- नारायण सिंह की अध्यक्षता में बने किसान आयोग की कई सिफारिशें लागू हुई कृपया शेष सिफारिशें भी लागू करें।
2.फतेहपुर कृषि कांलेज को स्नातकोत्तर स्तर तक किया जाये। - राज्य किसान आयोग का गठन कर संवैधानिक दर्जा दिया जाय ।
4.एमएसपी पर अनाज खरीद की पुख्ता व्यवस्था की जाये।
5. ड्रिप व वर्षा जल संग्रह फर अनुदान बढ़ाया जाए ।
6.एक लीटर पानी से वृक्षारोपण तकनीक से पेड लगाकर राजस्थान को हरा भरा करने की योजना बनाए ।
7.किसानों की तकनीकी सस्ती, सरल एवं टिकाऊ होती है अतः किसान नवाचारों को विभागीय योजनाओं में सम्मिलित करें। - फार्म पोंड का पानी का 1/3 भाग धूप से उठ जाता है जो बहुत बड़ी मात्रा होती है,इस पानी को बचाने का उपाय किया जाये।
किसान वैज्ञानिक भगवती देवी
साक्षर महिला किसान वैज्ञानिक भगवती देवी ने दीमक से फसलों को बचाने का जो उपाय खोज निकाला है उसको देश-विदेश में सराहा गया है । भगवती देवी ने बताया की मेरी शादी सुंडाराम वर्मा से पचास साल पहले हुई थी । कृषि उनकी प्राणवायु है। इसलिए उन्होंने बीएससी की पढ़ाई की थी। हमने संयुक्त परिवार के अनुशासन को जीवनशैली बनाया। उनका मन अन्वेषण में रमता और बुभाई, कटाई से लेकर पैकिंग तक में उनका साथ देती। एक लीटर पानी से एक पेड़ पद्धति से वे सबके चहेते बन गए। उन्हें एक महीने पहले पद्मश्री पुरस्कार मिला।मेरे पति ने मुझे सदैव कृषि नवाचारों के लिए प्रेरित किया वो हमेशा कहते हैं कि मिनख जीवन सार्थक बनाना है तो खेती किसानी में कुछ ऐसा करो कि लोग याद रखें।
फसलों को दीमक से बचाने के उपाय व दीमक नियंत्रण
भगवती देवी ने बताया की में खाना पकाने के लिए में खेत से लकड़ी लाती इन्हें एकत्रित करती तो इनमें दीमक लगी होती थे विभिन्न लकड़ियों में अलग-अलग मात्रा में होती। यूकेलिएस (सफेदा, नीलगिरि) में दीमक ज्यादा लगती थी। निरन्तर प्रयोगों के बाद समझ में आया कि सफेदे की लकड़ी में कुछ ऐसा है कि इसे दीमक खाना पसंद करती है। दीमक से बचाव के लिए, यदि फसल पर सफेदे के टुकड़े रख दें तो समस्या का समाधान निश्चित है। यही सोचकर एक एकड़ खेत में, सौ वर्गमीटर में सफेदे का दो फुट लंबा और ढाई इंच मोटा डंडा जमीन के समानान्तर आडे़ लगाया। डंडा आधा जमीन के अन्दर और आधा बाहर रखा। कुल 40 डंडे लगाए। इससे गेंहू की पूरी फसल की दीमक सफेदे के डंटल में आ गई। दीमक से बचाव के लिए कोई कीटनाशक डाले बिना पूरी फसल बच गई। कृषि अनुसंधान केन्द्र, फतेहपुर शेखावाटी ने मेरी इस उपलब्धि को तीन वर्ष परखा और पाया कि किसी भी फसल में सफेदे के डंडे का उपयोग करने के साथ यदि फसल को नीम से उपचारित करके बोया जाए तो इसके बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं।हरित क्रान्ति का दौर शुरू हुआ तो नए बीजो और नव तकनीकों के उपयोग से उत्पादन और कमाई बढ़ी। कृषि नवाचारों में हम पति-पत्नी एकजुट हुए तो मुझे इसका गणित समझ आने लगा। इस दौरान मुझे खेतों के वैज्ञानिक सम्मान सहित अनेक पुरस्कार व सम्मान मिले ।