राज्य सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रेमसिंह बाजौर ने कहा है कि देश की रक्षा के लिए मर मिटने वालों को देश सदैव याद रखेगा। इसलिए हम सबका फर्ज बनता है कि हम भी शहीद व उनके परिजनों के मान-सम्मान में किसी तरह की कमी नहीं आने दे। जिन जवानों ने अपने सीने पर गोली खाकर शहादत देकर अपनी मां के दूध को लज्जित नहीं होने दिया है। धन्य है उनके माता-पिता और सौभाग्यशाली है वह गांव, जिसमें शहीद हुआ हो। वे गुरूवार को जिले के पिचानवां में शहीद सिपाही सहीराम चाहर व मोडसरा का बास के शहीद मोहनलाल पूनियां की मूर्ति का अनावरण करने के बाद वहां आयोजित समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शहीद देश की धरोहर एवं पूंजी है हमें शहीद को जाति व धर्म में नहीं बांटना चाहिए। शहीद किसी देवता से कम नहीं है इन्होंने देश की सरहदों पर हर परिस्थितियों से जुझ कर सीमा पर डटे रहकर दुश्मन का सामना करते हुए उनके दांत खट्टे किए है। शरहद पर जब जवान गोली चलाते है, यह नहीं देखते कि सामने वाला किस जाति और धर्म का जवान है। वहां तो एक ही लक्ष्य रहता है, दुश्मन को मार गिराना। हम अगर शहीद को धर्म के साथ जोडग़ें तो देश आगे बढ़ेगा। हमें जीवन में सदैव अच्छे कार्य करने चाहिए, ताकि आने वाली पीढिय़ा उन्हें भी याद रख सकें। मंडावा विधायक नरेन्द्र कुमार खीचड़ और सूरजगढ़ विधायक सुभाष पूनियां ने भी कहा कि आज हमारा देश शहीदों की शहादत की वजह से सुरक्षित है और हम यहां रहकर सुख की सांस ले रहे है। इन्होंने कहा कि झुंझुनू की वीर-प्रसूता भूमि ने ऐसा नाम कमाया है, जिसकी मिसाल देश के किसी भी जिले में देखने को नहीं मिलती है। झुंझुनू देश में ऐसा जिला है, जहां सेना में सर्वाधिक भागाीदारी और शहादत में भी अग्रणी स्थान रहा है। पिचानवां के कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में बुहाना की पूर्व प्रधान नीता यादव ने भी बाजौर द्वारा किए जा रहे कार्यो की सराहना की। झुंझुनू की प्रधान सुशीला सीगडा एवं जिला परिषद सदस्य प्यारेलाल ढूकिया ने भी शहीद और शहीद के परिजनों को नमन करते हुए बताया कि झुंझुनू के जवानों ने शहादत की जो इबारत लिखी है, वह अन्यत्र कही नहीं मिलती। इन कार्यक्रमों के दौरान शहीद के परिजनों में माता-पिता एवं वीरांगनाओं तथा भाईयों का शॉल ओढ़ाकर अतिथियों द्वारा सम्मान किया गया। पिचानवां के शहीद सहीराम के परिवार की पांच पीढिय़ा 100 साल से उपर सेना में भागीदारी निभा रही है। नाथुवाला चौकी पर बाबा हरभजन सिंह के साथ काम करने वाले मोडसरा का बास के सुबेदार हनुमान सिंह पूनियां ने बताया कि 1962 में वे भी इसी स्थान पर पदस्थापित थे और उन्होंने भी बाबा हरभजन सिंह को गश्त करते हुए देखा था। इन कार्यक्रमों में विनोद कुमार झाझडिया, पूर्व सैनिक कल्याण अधिकारी मेजर जयराम यादव, नीमकाथाना के शहीद के पिता सावलराम यादव, वहां की ग्राम सरंपचों सहित आस-पास के ग्राम पंचायतों के जनप्रतिनिधि व ग्रामीण महिला-पुरूष बड़ी संख्या में उपस्थित थे।