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रासलीला में सुदामा चरित्र की लीला देख श्रद्धालु हुए भावविभोर

रतनगढ़, [सुभाष प्रजापत ] भाईजी श्री हनुमानप्रसाद पौद्दार स्मृति महोत्सव के अंतर्गत अगुणा बाजार स्थित पौद्दार जी के नौहरे में शनिवार की रात श्रीकृष्ण रासलीला के दौरान वृंदावन से आए आचार्य कुंजबिहारी शर्मा एवं उनकी टीम के कलाकारों ने सुदामा चरित्र की लीला का मंचन किया। रासलीला शुरू होने से पूर्व संत चितरंजनदास, मोतीलाल तातेड़, अंबिका प्रसाद हारित, मनोज जोशी, ओमप्रकाश प्रजापत, रामाकिशन गौरीसरिया ने भगवान श्रीकृष्ण राधा की पूजा अर्चना की। आयोजन समिति के रसेंदु फोगला ने बताया कि रासमंडली द्वारा पंचदिवसीय श्रीकृष्ण रासलीला लीला के अंतर्गत लीला के चौथे दिन प्रभु व भक्त के मिलन की लीला का मंचन किया गया। लीला के माध्यम से संदेश दिया कि गुरु, मित्र, बहन, बेटी और भगवान के घर कभी खाली हाथ नहीं जाना चाहिए। सुदामा की पत्नी के बार-बार कहने पर जब सुदामा अपने बचपन के मित्र द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण के पास जाने को तैयार हुए तो सुशीला ने पड़ोस से चावल लाकर अपने पति सुदामा को दिए और कहा कि इन्हें अपने मित्र को दे देना। जब सुदामा दीन-हीन दशा में द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण भगवान के महल पहुंचे तो द्वारपालों ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। सुदामा ने द्वारपालों को बताया कि वह भगवान श्रीकृष्ण के बचपन के मित्र हैं। जब श्रीकृष्ण में यह सुना तो नंगे पैर ही दौड़कर अपने मित्र सुदामा के पास पहुंचे और उन्हें छाती से लगा लिया। व्याकुल श्रीकृष्ण ने मित्र सुदामा के अपने हाथों से पैर धोए। सुदामा के पास दबी पोटली को छीनकर उसमें दो मुट्ठी चावल खाते ही दो लोकों का राज्य सुदामा को दे दिया। सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता को देखकर उपस्थित दर्शकों की आंखें नम हो गईं। विष्णु चौधरी ने बताया कि स्मृति महोत्सव के अंतर्गत प्रतिदिन सुबह पांच बजे प्रभात फेरी भी निकाली जा रही है। जिसमें सैंकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। प्रतिदिन सत्संग व प्रवचन संत चितरंजनदास द्वारा दिया जा रहा है। इस मौके पर पूर्व मंत्री राजकुमार रिणवां, कांग्रेस नेता हेमन्त सारस्वत, विकास रिणवां, बनवारी स्वामी, विशाल गुप्ता, आनन्द अग्रवाल, चन्द्रवेश चोटिया, नन्दकिशोर दायमा, संजय चोटिया, विनीत चंगोईवाला सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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