चूरू, [सुभाष प्रजापत ] जिला कलेक्टर पुष्पा सत्यनानी ने शुक्रवार को जिले के भालेरी में पीएचसी, आंगनबाड़ी केंद्र और स्कूल का औचक निरीक्षण किया। जिला कलक्टर ने पीएचसी के निरीक्षण के दौरान चिकित्सकों, कार्मिकों की उपस्थिति, दवा वितरण केंद्र, जांच एवं प्रसव आदि व्यवस्थाओं की जानकारी ली और व्यवस्थाओं को लेकर नाराजगी जताई। जांच के दौरान डॉ सरिता, राजबाला पारीक, राजकुमार भाकर, राजेश कुमार, रोहिताश राहड़ सहित अनुपस्थित मेडिकल स्टाफ के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश दिए। पीएचसी के डॉ अनुराग शर्मा ने व्यवस्थाओं की जानकारी दी।
जिला कलेक्टर सत्यानी ने कहा कि अस्पताल में साफ- सफाई, दवा वितरण व्यवस्था, जांच व्यवस्था आदि का ध्यान रखें एवं सुनिश्चित करें कि मरीजों को कोई परेशानी ना हो। पीएचसी में आने वाले सभी मरीजों की समुचित चिकित्सकीय देखभाल हो और उन्हें पर्याप्त उपचार मिले। उन्होंने कहा कि शासन- प्रशासन बेहतरीन चिकित्सा सेवाओं के लिए बहुत गंभीर है। आमजन को मुहैया करवाई जाने वाली चिकित्सा सेवाओं में कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इसी के साथ उन्होंने महिला वार्ड, प्रसव कक्ष, एनसीडी जांच, पंजीकरण काउंटर आदि व्यवस्थाएं देखीं और सुधार के निर्देश दिए। आयुर्वेद अस्पताल का निरीक्षण कर उन्होंने दवाइयों की स्थिति, आने वाले मरीजों की संख्या, उपचार आदि की जानकारी ली। आयुर्वेद चिकित्सक मदालसा शर्मा ने उन्हें आयुर्वेद अस्पताल की व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दी।
इसके बाद जिला कलेक्टर ने भालेरी में ही आंगनबाड़ी केंद्राें का निरीक्षण किया। भालेरी में मॉडल आंगनबाड़ी केन्द्र पर अव्यवस्थाएं पाई गई तथा अनुपस्थित मिली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उषा के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश दिए। सहायिका सुमन उपस्थित मिली, लेकिन पूछने पर पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं करवा पाई। इसी के साथ पोषाहार सामग्री भी एक्सपायरी डेट पार की हुई मिली।
जिला कलेक्टर ने आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषाहार, आने वाले बच्चों की स्थिति, सेनेटरी नैपकिन वितरण आदि व्यवस्थाओं को लेकर निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बच्चों को उत्तम गुणवत्तापूर्ण पोषाहार मिले और ध्यान रखें कि पोषाहार सामग्री अपनी एक्सपायर तिथि से पहले वितरित हो। आंगनबाड़ी केन्द्रों पर महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन भी समुचित रूप से उपलब्ध करवाएं जाएं।
इस दौरान सीईओ मोहनलाल खटनावलिया, एपीआरओ मनीष कुमार, विकास अधिकारी अमरजीत बाबल, सरपंच राजेंद्र कुमार, एक्सईएन हरिराम माहिच, एईएन ओमप्रकाश दाधीच, सहायक विकास अधिकारी छगनलाल छिंपा, दीपक शर्मा आदि उपस्थित रहे।
मतदान केन्द्रों का किया निरीक्षण, बालिकाओं को वितरित की साइकिल
जिला कलक्टर पुष्पा सत्यानी ने भालेरी के ही मतदान केंद्र संख्या 91, 92, 93 और 94 का निरीक्षण किया और मतदान केंद्र पर रैम्प, पेयजल, क्रिटिकल बूथ, दिव्यांग मतदाताओं, वृद्ध मतदाताओं, महिला मतदाताओं आदि के बारे में जानकारी ली। बीएलओ धनपत, धर्मचंद एवं अनिल स्वामी ने मतदाताओं व बूथ पर व्यवस्थाओं की जानकारी दी। इसी के साथ विद्यालय में जिला कलेक्टर ने बालिकाओं को साइकिल वितरित की और बच्चों से संवाद किया। उन्होंने कहा कि बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए यह सरकार की बेहतरीन योजना है। बालिकाओं से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि स्कूल शिक्षा के बाद उच्च अध्ययन करें। शिक्षित व सक्षम बालिका ही समृद्ध समाज का विकास करती है।
जिला कलक्टर ने भालेरी के ही राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में भी कार्मिकों व अध्यापकों की उपस्थिति जांच की, जिसमें उप प्रधानाचार्य देवाराम अनुपस्थित मिले, जिस पर अनुपस्थित कार्मिक के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश दिए। जिला कलक्टर ने कक्षा- कक्षा का निरीक्षण करते हुए बच्चों से संवाद किया और बच्चों से कक्षा में पढ़ाई जाने वाली अध्ययन सामग्री आदि के बारे में चर्चा की। इसी के साथ विद्यालय में पोषाहार, बच्चों को पोशाक व पुस्तकों की उपलब्धता की भी जानकारी ली। प्रधानाचार्य रविंद्र सिंह ने व्यवस्थाओं की जानकारी दी।
वन विभाग व नरेगा के समन्वय से निर्मित नर्सरी का किया अवलोकन
इससे पूर्व जिला कलेक्टर पुष्पा सत्यानी ने भालेरी में वन विभाग व नरेगा के समन्वय से बनाई गई नर्सरी का अवलोकन किया तथा नर्सरी में तैयार किए जाने वाले पेड़- पौधों की जानकारी ली। सीईओ मोहनलाल खटनावलिया ने बताया कि नर्सरी नरेगा कायोर्ं के तहत कार्रवाई गई है, जिसमें नर्सरी, कुंड व क्यारी आदि बनाए गए हैं। नर्सरी में अंगूर की बेल, शीशम, बरगद, चांदनी, बोगन बेल, शहतूत, नींबू, पीपल, अरड़ू सहति पौधों की पौध तैसार की जा रही थी। नर्सरी में पौधों के उत्पादन तथा व्यवस्थाओं को लेकर जिला कलेक्टर ने संतोष जाहिर किया और जिले में इसी प्रकार की अन्य नर्सरी भी विकसित करने की बात कही। जिला कलक्टर ने कहा कि जिले की भौगोलिक परिस्थितियों व पानी की उपलब्धता को देखते हुए जलवायु के अनुसार पौधे विकसित किए जाएं ताकि पौधों का अधिकतम उपयोग हो सके।