पचास वर्ष पूर्व 27 अप्रैल 1970 में बचाई थी दो लोगो की जान
दांतारामगढ़, [लिखासिंह सैनी ] दांता कस्बे के जानेमाने समाज सेवी कालूराम बगरानियां का जन्म सन् 1930 में ईश्वर लाल के घर माता श्रीमती गंगा देवी के गर्भ से हुआ । इनका विवाह रेनवाल निवासी चौथूराम की पुत्री नर्बदा देवी के साथ हुआ इनके एक पुत्री भंवरी देवी पुत्र स्व . ओमप्रकाश, एवं दामोदर प्रसाद है । कालूराम कम पढ़े लिखे होने के कारण व अभावग्रस्त परिवार से होने के कारण आप ने अपने खानदानी काम मजदूरी कारीगरी को ही सिखा और अल्पायु में ही दांता ग्राम को छोड़कर बम्बई चले गये वही पर भवन निर्माण का काम शुरू कर दिया । बम्बई में समुद्र तट के निकट कालूराम बगरानियां अपने साथीयो के साथ टहल रहे थे की अचानक 27 अप्रैल , सन् 1970 को दिन के 12 बजकर 45 मिनट पर कम्बाटा एमिएशन कम्पनी का एक हैलीकॉप्टर ध्वस्त हो कर गिर गया था उस समय समुद्र में ज्वार आने वाला था और तेज हवा चल रही थी l शीघ्र ही दो व्यक्ति कुमारी डुलस और श्री मोदी तट से लगभग 150 गज दूर और एक दूसरे से 60 गज के अन्तर पर समुद्र में बहते दिखाई दिये । सहायता के लिए चिल्ला रहे थे । सहायक दल बनाने के लिए स्वयंसेवक बुलाये गये और लेफ्टिनेंट नजमल शाह सैयद , हाकिन्सन फनैर्ड्स, कालूराम और छबीलाल साहू तुरंत आगे बढ़े और समुद्र तट की और झपटे । लेफ्टिनेंट सैयद जो इस बचा कार्य के लिडर थे तथा श्री फनैर्ड्स यात्रीयों में से एक और तैरकर गए और कुमारी डुलस को बचा कर किनारे पर ले आए । कालूराम और छबीलाल साहू दूसरे यात्री की और तैरकर गये और श्री मोदी को बचाया । इन चारों व्यक्तियों ने खराब मौसम एवं अपनी जान की परवाह न करते हुए कुमारी डुलस और श्री मोदी को बचाने में अनुकरणीय वीरता का परिचय दिया। ( गोविंद नारायण ,सचिव भारत सरकार गृह मंत्रालय ) उस दिन यह समाचार बम्बई के सभी अखबारो में प्रकाशित हुये थे । कालूराम ने जान की बाजी लगाकर जान बचाने पर भारत सरकार ने इने राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया था एवं उत्तम जीवन रक्षा पदक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था । दांता व आसपास के गांवो में कालूराम ऐसे पहले व्यक्ति थे जिनको यह पुरस्कार प्रदान किया गया था । कुछ साल मुंबई छोड़कर दुबई, बहरीन जैसे देशो में कालूराम जी ने बतोर श्रमिक काम किया । कालूराम ने कुमावत श्मशान के निर्माण में तन मन धन से सहयोग किया था एवं दांता के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आयोजित होने वाले नेत्र चिकित्सा शिविर में कई सालों तक अपनी सेवाएं प्रदान की मेरे को भी कालूराम के साथ सन् 1994 में नेत्र चिकित्सा शिविर मे पांच दिनों तक सेवा प्रदान करने का अवसर मिला था । कालूराम सब कुछ दांव पर लगाकर समाज सेवा करते थे । जयपाल गिरी की बगीची में यात्री विश्रामगृह व दुकाने बरामदे व पानी की खेलियों का निर्माण करवाया था, वही वट वृक्ष लगा कर गटा बनवाया था । समाज सेवी कालूराम ने आजीवन समाज सेवा की थी l गौ माता की गोशाला में सेवा करते थे, मोक्षधाम में प्रतिदिन श्रमदान करते थे । इनका देहांत 20 सितंबर सन् 2012 को हुआ था । झुझारू वेक्तिव के धनी निर्धन व अभावग्रस्त परिवार से ताल्लुक रखने वाले कालूराम को सादर नमन् ।