चूरू, [सुभाष प्रजापत ] जिले के देपालसर का है यह कारीगर जो रबड़ी के स्वाद का पता शायद इसके चाहने वालो से बेहतर आज कोई नही जानता. गर्मी के मौसम में आज के समय वैसे बहुत सी वैरायटी की आइसक्रीम मिल जाएगी लेकिन रबड़ी जैसा स्वाद आपको शायद ही चखने को मिले. मिठास से भरपूर रबड़ी अपने स्वाद से किसी को भी अपना दीवाना बना दे चूरू में ऐसे ही एक रबड़ी व्यवसायी है सांवरमल सैनी. जिन्हें रबड़ी का ये व्यवसाय विरासत में मिला और आज सैनी परिवार की चौथी पीढ़ी इस कारोबार को आगे बढ़ा रही है.देपालसर के सांवरमल सैनी बताते है कि उनका परिवार पिछले 60 वर्षों से रबड़ी बेच रहा है पहले उनके दादा और फिर उनके पिता और वर्तमान में वह स्वयं और उनके बच्चे रबड़ी बेच रहे हैं. सैनी बताते की स्वाद और शुद्धता में उनकी रबड़ी का कोई मुकाबला नहीं और इसी के चलते आज भी उनका वर्षो पुराना कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. सांवरमल बताते है कि उनके दादा और पिता ने ट्रेन और बस में रबड़ी बेची और वह अब आस-पास के शहरों में साइकिल पर घूम-घूमकर रबड़ी बेचते है तो बच्चे भी उनके इस काम मे उनका पूरा सहयोग करते हैं और हाथ बटाते है.सैनी बताते है कि वह हर रोज 10 से 15 किलो रबड़ी बनाते है और बेचते है. इसके लिए सवेरे जल्दी उठकर पहले शुद्ध दूध को भट्टी की आंच पर उबाला जाता है फिर दूध की मलाई की जाती है और फिर उसे ठंडा किया जाता है. फिर उसमें चीनी और केसर मिलाई जाती है और आखिर में उसे बर्फ में जमाया जाता है.सांवरमल सैनी बताते है कि घर से रबड़ी तैयार कर वह सुबह जल्दी निकलते है ट्रेन से रतनगढ़ जाते है. फिर वहां साइकिल से फेरी लगाकर बस स्टैंड और बाजार में रबड़ी बेचते है. सैनी बताते हैं की प्रतिदिन जितनी रबड़ी तैयार करते है उतनी बिक जाती है।