जिला एवं सेशन न्याया धीश झुंझुनंू अतुल कुमार सक्सेना द्वारा दिये एक दण्डादेश में गबन के आरोपी धर्मपाल मीणा पुत्र नौरंगलाल मीणा तत्कालीन ग्रामीण डाक सेवक शाखा डाकपाल बिदासर, बिसाऊ की अपील को खारिज करते हुए विद्वान अधीनस्थ न्यायालय अति. मुख्य न्यायिक मजिस्टे्रट झुंझुनू द्वारा 1 अगस्त 2018 को दी गई सजा को यथावत रखते हुए धर्मपाल मीणा की अपील खारिज कर दी। अधीनस्थ न्यायालय अति. मुख्य न्यायाधीश झुंझुनू द्वारा धर्मपाल मीणा को लोकसेवक की हैसियत से शाखा डाकपाल बिदासर के पद पर कार्य करते हुये व 3 धनादेश में प्रत्येक में से 2-2 हजार रूपये, जो की उसे न्यस्त किये गये थे, का बेईमानी पूर्वक दुर्विनियोग कर अपराधिक न्यास भंग किया व 3 मनीऑर्डर जो एक मूल्यवान प्रतिभूति थे, पर प्राप्तकर्ता व गवाह के फर्जी हस्ताक्षर स्वयं कर कूटरचना कारित की व छल कारित करने के प्रयोजन से उसे असल के रूप में प्रयोग लिया व इन धनादेशों का भुगतान डाक घर से बेईमानी पूर्वक आशय रखते हुये छल कारित करते हुये प्राप्त किया। अधीनस्थ न्यायालय एसीजेएम झुंझुनूं ने धर्मपाल मीणा को सरकारी राशि के गबन के मामलें में तीन वर्ष का कठोर कारावास व दस हजार रूपये के अर्थदण्ड, धोखधड़ी के आरोप में 2 वर्ष का कठोर कारावास व 8 हजार रूपये अर्थदण्ड तथा फर्जी दस्तावेज तैयार कर छल करने आदि में विभिन्न धाराओं में सजा दी थी। मामलें के अनुसार 21 अगस्त 2003 को मोहनलाल अधीक्षक डाकघर झुंझुनूं ने एक रिपोर्ट डाक द्वारा थाना बिसाऊ पर भेजी कि धर्मपाल मीणा ग्रामीण डाक सेवक शाखा डाकपाल बिदासर के पद पर कार्यरत था, जिसने इस पद पर कार्य करते हुए शाखा डाकघर के अतिशेषों में नगदी रूपये 16671.35 कम रखे। निरीक्षक डाकघर झुंझुनूं केएल सैनी ने जांच के दौरान 24 मई 2002 को नगदी आदि का सत्यापन करने पर अतिशेषों में उक्त नगदी कम पाई गई। कम पाई नगदी में से 24 मई 2002 की सायं 15 हजार रूपये धर्मपाल द्वारा जमा करवा दिये गये तथा 1671.35 रूपये 29 मई 2002 को व फर्जी हस्ताक्षर कर भुगतान किये गये धन्नादेशों की राशि 6 हजार रूपये कुल 7671.35 रूपये उक्त डाकघर बिसाऊ में जमा करवा दिये। रिपोर्ट मेंं बताया कि धर्मपाल ने अपनी प्रारम्भिक जांच के दौरान दिये गये बयानों में स्वीकार किया कि उसने गबन की गई राशि को अपने स्वयं के निजी प्रयोग में ले लिया। अधीनस्थ न्यायालय एसीजेएम झुंझुनंू द्वारा दी गई उक्त सजा के विरूद्ध यह अपील सेशन न्यायाधीश झुंझुनू के समक्ष पेश की गई थी। विद्वान न्यायाधीश ने अपील में आये तथ्यों का सम्पूर्ण विशलेषण व विवेचन कर धर्मपाल मीणा की अपील को खारिज करते हुए उसकी सजा यथावत रखी।