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पीरामल फाउंडेशन की गांधी फ़ेलो स्वंय बदलाव से समुदाय बदलाव की ओर अग्रसर

ऐवन लोगों की जीवनशैली को समझ सकें

झुंझुनू, पीरामल फाउंडेशन पिछले की वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में नए नए नवाचारों द्वारा झुंझुनू व अन्य जिलों में अपनी सेवाएं प्रदान करती आई है जिससे विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके और वह सभी एक आदर्श नागरिक के रूप में स्वंय को भविष्य के लिए तैयार कर सकें। इसी उम्मीद के दीप को रौशन करने हेतु पीरामल फाउंडेशन गांधी फ़ेलो को समुदाय में रहने के लिए भेजती जिससे वह समुदाय में रहने वाले बच्चों ऐवन लोगों की जीवनशैली को समझ सकें और उनके साथ रहकर बच्चों व समुदाय के विकास हेतु नए नए नवाचारों के माध्यम से कार्य सकें जिससे एक आदर्श समाज व नागरिक बनने की प्रेरणा मिल सके। इस संबंध में पीसा प्रोग्राम जो कि परियोजना आधारित शिक्षण के माध्यम से राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 6 से 8 में पढ़ने वाले बच्चों को नवाचारों द्वारा सिखाने का प्रयास कर रहा है उसमें गांधी फ़ेलो के रूप में कार्यरत ऐश्वर्या. के. झुंझुनू ब्लॉक के एक गाँव उदावास में एक माह तक रहते हुए वहाँ कि जीवनशैली और संस्कृति को समझते हुए अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है। इस समय अंतराल में गांधी फ़ेलो किसी एक परिवार के साथ एक माह तक रहता/रहती है जिसमें परिवार उन्हें बिना किसी स्वार्थ के अपने परिवार के सदस्य कि तरह रखते हैं। इस प्रकरण में गांधी फ़ेलो ऐश्वर्या जो कि केरल से संबंध रखती है, समुदाय में भाषा की समस्या होते हुए भी कार्यरत हैं।

पीरामल फाउंडेशन के अशग़ाल खान ने बताया कि समुदाय में रहकर गांधी फ़ेलो ऐश्वर्या ने विद्यार्थियों के लिए एक विद्यार्थी अधिगम केंद्र बनाया जिसके माध्यम से बच्चों को ये अवसर मिलता है कि वह स्वंय से सीख पाएं और परियोजना आधारित शिक्षण द्वारा अपने स्थानीय संदर्भ में चीजों को सीख पाएं। इसी के साथ साथ ये बच्चे ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं जिन्हें कृषि के महत्व के बारे में पता होता है, इसी आधार पर ऐश्वर्या ने विद्यालय में एक किचन गार्डन बच्चों से बनवाया और उन्हें उनके पाठ्यक्रम में मौजूद संकल्पनाओं को करके सीखने हेतु प्रेरित किया।

इसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए ऐश्वर्या ने वहाँ के लोगों कि जीवनशैली को करीब से समझने और उसे महसूस करने हेतु मजदूरी भी की जिसका एक संदेश समुदाय के बच्चों को ये भी देना था कि महिलायें व पुरूष दोनों एक समान होते हैं और वह किसी भी कार्य को अपनी क्षमताओं व दक्षताओं के आधार पर कर सकते हैं। इसी के साथ साथ ऐश्वर्या ने लड़कियों के साथ मिलकर परियोजना आधारित शिक्षण, समुदाय में समस्याओं की खोज कर उनके हलों को लागू करने, कैरियर चुनने, खुद को सशक्त करने आदि को लेकर फोकस ग्रुप डिस्कशन किए जिसकी सराहना समुदाय में रहने वाले लोगों ने की। ये प्रक्रम पूर्ण होने के बाद ये फ़ेलो जिले के अन्य विद्यालयों में इस तरह कि परियोजना कर रही होगी और बच्चों के सीखने के नए नए आयामों को नवाचारों द्वारा खोलने का प्रयास कर रही होगी ।

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