सौभाग्य एवं समृद्धि के लिए
सरदारशहर ( जगदीश लाटा) सौभाग्य एवं समृद्धि के लिए होली के साथ ही युवतियां गणगौर पूजन में व्यस्त दिखाई दे रही हैं।पारंपरिक रूप से होली के दूसरे दिन भोर से ही युवतियां और महिलाएं गणगौर की पूजा प्रारंभ करके सौभाग्य तथा समृद्धि की कामना करती है।नवविवाहिताओं के लिए तो यह त्योहार से कम नहीं होता है। छारंडी से शुरू गौरी पूजन एक पखवाड़े तक सौभाग्यवती स्त्रियां व युवतियां हर्षोल्लास पूर्वक समारोह के रूप में मनाती हैं। गणगौर पूजन चैत्र शुक्ल तृतीया तक चलता है, जिसका कि गणगौर मेला पर समापन होता है जो कि इस बार 4 अप्रैल को भरा जाएगा। नवविवाहिताएं, युवतियां और महिलाएं एक पखवाड़े तक अनवरत रूप से सुबह पूजा के साथ कार्यक्रम प्रारंभ करतीं हैं तो शाम को गणगौर को पानी के लिए कूप पर ले जाकर जल की महत्ता एक तरह से प्रतिपादित की जाती है। रोज़ रात को ‘गौर बनोरा’ के साथ भी गणगौर का पूजन किया जा रहा है। आधुनिकता व आपाधापी की चकाचौंध के बीच भी युवतियों की ओर से जारी पारंपरिक तरीके से गौर पूजन जहां मन को मोह लेता है, वहीं दिल में शुकून भी मिलता है।