इस्लामपुर, चिकित्सा का पेशा पावन और परोपकार का माना गया है। मनुष्यो की बात करें तो कहा गया नर को नारायण मानकर सेवा करनी चाहिए। हमारे देश मे मानव की चिकित्सा के क्षेत्र मे कितनी सेवा की जाती है। ये किसी से छुपी नही है। मानव चिकित्सा का क्षेत्र आज पूरा व्यवसाय बन चुका है। ऐसे समय मे पशुओं को नारायण मानकर सेवा करने वाले को तो पागल समझना लाजमी है। हां ऐसा ही एक शख्स है जो कहने को तो पशु चिकित्सक है पर पशुओ की सेवा और इलाज मे किसी गौपाल से कम नही है। कस्बें के राजकीय पशु चिकित्सालय मे कार्यरत डाॅ सतबीर सिंह दलाल आस पास के पशु पालकों के लिए किसी भगवान से कम नही है। ग्रामीण क्षेत्रों मे कृषि और पशुपालन साथ साथ चलते है। जिससे ही लोगो का गुजर बसर होता है। किसी भी पालतु पशु की यदि बिमारी से मौत हो जाती है। तो उस परिवार की आर्थिक कमर टूट जाती है।
ऐसे मे डाॅ दलाल पशुपालको से फरिश्ते से कम नही है। इन्होने कस्बे मे एक नवाचार के रूप मे रथानीय लोगो के सहयोग से पशु चिकित्सालय विकास समिति का निर्माण करवाया। जिसके अध्यक्ष ताराचंद मांजू है। कही पर भी विजिट करने से जो पैसा आता हैं ये उसकी रशीद काटते है। वो पैसा विकास समिति मे जाता है। बाद मे विकास समिति तय करती है कि वो पैसा अस्पताल के विकास मे कहा लगाना है। विजिट पर जाने का जो वाहन का खर्चा होता हैं वो डॉ दलाल अपनी जैब से वहन करते है। कई मामलों मे तो देखा गया है कि डाॅ दलाल लगातार महिने भर तक जाकर पशुओं का इलाज करते है। और कोई फीस नही लेकर सिर्फ सौ रूप्ये की समिति की रशीद ही काटते है। मजे की बात तो ये है कि इन्होने अस्पताल मे एक रिर्कोड मेन्टेन किया हुआ है। जिसको देखकर वो पशु पालको को समय समय पर फोन पर सूचना देकर टीके इत्यादि लगाने की जानकारी देते रहते है। बिलकुल किसी प्रतिष्ठित निजि कम्पनी की तरह। स्थानीय चिकित्सक की अपने पेशे के प्रति प्रतिब्धता देखकर भामाशाह भी सहयोग के लिए सहर्ष ही तैयार हो गए। भामाशाह रतनलाल चैधरी ने अस्पताल को एक फ्रिज, पानी की टंकी, होद सहित 60 हजार रूप्ये का विकास कार्य करवाया है। स्थानीय युवा भी अस्पताल के कार्यो मे आगे आकर हाथ बटाने लगे है। वही समिति के निर्माण से कस्बे के लोगों का सरोकार भी अस्पताल से जुड गया है। डाॅ दलाल द्वारा आवरा घूमने वाले पशुओं जो पाॅलीथीन खाकर काल का ग्रास बन रहे है उनके लिए भी विशेष प्रयास किए जा रहे है।