सुजानगढ़, अपने लिये जीये तो क्या जीये- जिंदगी वही है जो दूसरों के काम आये..। कुछ ऐसा ही उदाहरण पेश किया है सुजानगढ़ के हारे का सहारा ग्रुप के सदस्यों ने। हाल ही में 25 मार्च की शाम को रतनगढ़ की ओर से आने वाली ट्रेन से गिरकर एक अज्ञात वृद्ध की मौत हो गई थी। जिसके बाद पुलिस प्रशासन व स्थानीय लोगों ने भी उसकी पहचान के काफी प्रयास किये, लेकिन शव की शिनाख्त नहीं हो पाई। ऐसे में राजकीय अस्पताल में अस्पताल प्रशासन व पुलिस प्रशासन की सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद सुजानगढ़ की टीम हारे का सहारा द्वारा संयोजक श्याम सुंदर स्वर्णकार की प्रेरणा से अर्थी बनाई गई और उसके बाद पूरे विधि विधान के साथ शव यात्रा निकालकर भोजलाई बास स्थित श्मसान घाट में अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार में दीपक भास्कर, शाकिर खान बेसवा, मौजीराम जाखड़, सुनील सोनी, सुरेंद्र राठौड़, अरविन्द विश्वेन्द्रा, प्रदीप बाबरिया, गजानंद गुर्जर, संजू नाथ, राजू लोरा, केशु सेन, प्रदीप सिंह, जितेश पारीक, अनिल जोशी, किशन पारीक, बाबूलाल जोशी, योगेश सिंह, हरिओम, शंकरलाल स्वामी, नगरपरिषद से अशोक जमादार, घीलचंद, देवकीनंदन, लालचंद आदि मौजूद रहे। वहीं ग्रुप सदस्यों ने बताया कि भविष्य में भी अज्ञात शवों के परिजन न मिलने की दशा में ग्रुप द्वारा विधि विधानपूर्वक अंतिम संस्कार करने के प्रयास किये जायेंगे।