झुंझुनूताजा खबर

एचडीएफसी बैंक व आदित्य बिरला केपिटल सनलाईफ बीमा कंपनी को जमा करवाने होंगे 25-25 हजार रुपए उपभोक्ता कल्याण कोष में

बिना सहमति के खाताधारक के खाते से बैंक ने बीमा पॉलिसी जारी होने के 48 दिन बाद प्रीमियम राशि काटकर बीमा कंपनी को भेजी थी

बैंक ने परिवादी के खाते में 49 रुपये 73 पैसे होने के बाद भी प्रीमियम राशि काटकर खाता किया था होल्ड

अब प्रीमियम की राशि 15675 रुपए ब्याज सहित लौटानी होगी परिवादी को

झुंझुनूं, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में खाताधारक की बिना सहमित के बीमा प्रीमियम राशि काटकर बीमा कंपनी को स्थानांतरित करने के कार्य को सेवादोष एवं बैंकिंग व बीमा कंपनियों के प्रति विश्वास को कमजोर कर सकने वाला बताते हुए एचडीएफसी बैंक एवं आदित्य बिरला केपिटल सनलाईफ बीमा कंपनी को 25-25 हजार रुपए उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करवाने के आदेश दिए हैं। पीठासीन अधिकारी एवं जिला आयोग अध्यक्ष मनोज मील व सदस्या नीतू सैनी ने परिवादी रामकुमार सैनी को प्रीमियम राशि 15,675 रुपए ब्याज सहित लौटने के साथ मानसिक संताप पेटे 7,500 रुपए एवं परिवाद व्यय के पेटे 3300 रुपए देने के आदेश भी दिए हैं।

मामला नवलगढ़ का है, जहां जग्गुका ढाणी के रहने वाले परिवादी का एचडीएफसी बैंक में खाता है। बैंक एवं बीमा कम्पनी ने परिवादी की आदित्य बिरला केपिटल सनलाईफ बीमा कंपनी में बीमा कर पॉलिसी जारी कर दी। परिवादी ने इसकी सूचना मिलने पर पॉलिसी निरस्त करने के समय सीमा के अंदर (7 दिन बाद) पॉलिसी बंद करने का भी निवेदन किया। लेकिन बैंक व बीमा कम्पनी ने इस पर भी ध्यान नहीं दिया और अगले महीने बीमा पॉलिसी जारी होने के 48 दिन बाद परिवादी के खाते में महज 49 रुपये 73 पैसे होने के बाद भी प्रीमियम राशि 15675 रुपये काटकर बीमा कंपनी को स्थानांतरित कर खाता धारक का बैलेंस माइनस में दर्शाते हुए खाते को होल्ड कर दिया।

बीमा पॉलिसी से संबंधित शर्तें बड़े व स्पष्ट अक्षरों में लिखे बैंक व बीमा कंपनी :

परिवादी खाताधारक ने इसके बाद जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में परिवाद पेश किया, जहां आयोग ने इसे अनुचित मानते हुए लिखा है कि बैंक व बीमा कम्पनी के अधिकारी-कर्मचारी अपने निजी स्वार्थों के वशीभूत होकर विधि विरूद्ध कार्य व्यवहार को अपनाते है। बैंक खातों के माध्यम से बीमा पॉलिसी की प्रीमियम राशि का भुगतान होता है तथा दुर्भाग्यवश कोई दुर्घटना हो जाती है, तो बैंक व बीमा कम्पनी क्लेम मुआवजा राशि चुकाने के समय जिम्मेदारियों को एक-दुसरे पर डालकर अपने नैतिक दायित्वों की पवित्रता को खण्डित करने का कुप्रयास करते है। इसलिए बैंक व बीमा कम्पनी को यह निर्देश दिया जाना भी न्यायोचित है कि अपने कार्य-स्थलों पर स्पष्ट रुप से व सामान्य परिस्थिति में भी साफ-साफ दिखाई देने वाली जगह पर स्पष्ट व बड़े अक्षरों में बीमा पॉलिसी से सम्बन्धित शर्तों-नियमों व दुर्घटना होने पर मिलने वाले क्लेम इत्यादि से सम्बन्धित जानकारियों को प्रदर्शित करें और इसकी पालना रिपोर्ट जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में छायाचित्रों की प्रतियों के साथ निर्णय की दिनांक से 15 दिवस में भिजवाया जाना सुनिश्चित करें।

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