बासेड़ा के पर्व पर बासी पकवानों का लगाया भोग
दांतारामगढ़,[लिखा सिंह सैनी ] शीतला अष्टमी को बासेड़ा का पर्व सोमवार को मनाया जा रहा है । सुबह सुबह ही महिलाएं गीत गाती हुई शीतला माता के मंदिरों में पहुंची और मैया को ठण्डे बासी पकवानों का भोग लगाया। महिलाओं ने रविवार को घरो में पुआ, पापड़ी, शक्करपारा, गुलगुला, रावड़ी,चावल आदि बनाए थे उन्ही पकवानों का भोग मैया को चढ़ाया तथा परिवार, समाज व देश में सभी स्वस्थ व दीर्घायु होने की कामना शीतला मैया से की। पूजा के बाद परिवार के लोगों ने ताजा गर्म खाना बनाने के बजाय रात को बनाए ठण्डे भोजन का सेवन किया। महिलाओं ने शीतला अष्टमी व्रत भी रखा। मान्यता है कि शीतला माता का ये व्रत करने से सुख और समृद्धि बढ़ती है, वहीं व्रत करने वाले के साथ परिवार वालों को भी कोई बड़ा रोग नहीं होता है। शीतला माता के प्रसन्न होने से हर तरह के रोग और दोष खत्म हो जाते हैं। शीतला सप्तमी या अष्टमी व्रत पर एक दिन पहले माता का नैवेद्य और परिवार वालों के लिए खाना बना लिया जाता है। शीतला सप्तमी या अष्टमी पर बासी और ठन्डे व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। उसके बाद घर के सभी लोग सिर्फ ठंडा खाना ही खाते हैं। इस पूजा के बाद चूल्हा नहीं जलाया जाता। धार्मिक कारण यह है कि शीतला मतलब जिन्हे ठंडा अतिप्रिय है। इसीलिए शीतला देवी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें ठंडी चीजों का भोग लगाया जाता है। इसके पीछे एक कारण ये भी है कि इस दिन के बाद से बासी भोजन करना बंद कर दिया जाता है। ये ऋतु का अंतिम दिन होता है जब बासी खाना खा सकते हैं।