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भगवान को पाना है तो ध्रुव जैसा तप करना पड़ेगा – चेतन्य ब्रजवासी

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भगवत कथा के तीसरे दिन समुद्र मंथन, गजग्राह, वामन अवतार पर चर्चा की गई..

उदयपुरवाटी. कस्बे की लालघाटी तुलसी तुलहटी गायत्री धाम के महंत राधेश्याम दास महाराज के सानिध्य में चल रही श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन पंडित चेतन्य ब्रजवासी द्वारा गाई जा रही श्रीमद भागवत कथा में बुधवार को ध्रुव भक्त की कथा सुनाते हुए बताया की प्रत्येक जीव उत्तान पाद है। जिसका मतलब वह जीव जिसके पैर जन्म से पहले पेट मे पैर उपर की ओर होते हैं। अतः हर जीव की पहले यही दशा होती है। उत्तानपाद राजा को भी दोनों रानियो में सुरुचि ज्यादा पसंद थी। यही हाल मनुष्य का है। उसको भी दैनिक जीवन मे स्वरूचि ज्यादा पसंद है। सुनीति (सही नीति) नही है। स्वरूचि का फल हमेशा उत्तम हो सकता है लेकिन धुर्व नही। धुर्व हमेशा सुनिती का ही पुत्र होता है। साथ ही समुद्र मंथन, गजग्राह, वामन अवतार के विषय मे चर्चा की गईं। कथा के दौरान बनवारी दास महाराज, रामदास दास महाराज रघुनाथगढ़, मुख्य यजमान राजकुमार सैनी, मंजू देवी, जमन लाल शर्मा, नन्दलाल जांगिड़, सुभाष सैनी, मुकेश खटाणा, केसर देव सैनी, ब्रह्हानन्द सैनी, अशोक, जगदीश, किसान नेता धनाराम सैनी, रतन लाल टांक, मदनलाल योगी, गणेश सैनी, विजेता सैनी, गीता देवी, केसरी देवी, मंजू देवी सहित श्रद्धालु मौजूद थे।

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