ध्वजारोहण के समय भारतीय झंडा संहिता, 2002 का करें पालन
चूरू, जिला कलक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट सिद्धार्थ सिहाग ने आमजन से अनुरोध किया है कि वे स्वतंत्राता दिवस समारोह को उत्साह एवं गरिमा के साथ मनाएं। साथ ही ध्वजारोहण एवं अन्य आयोजनों के समय भारतीय झंडा संहिता, 2002 की अक्षरशः पालना सुनिश्चित करें। उल्लेखनीय है कि भारतीय झंडा संहिता 2002 के अनुसार, आमजन द्वारा भी ध्वजारोहण किया जा सकता है लेकिन इस संबंध में भारतीय झंडा संहिता 2002 एवं राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 में वर्णित प्रतिबंधों की पालना आवश्यक है। झंडे का प्रयोग व्यावसायिक प्रयोजन के लिए नहीं किया जाएगा, अन्यथा संप्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग का निवारण) अधिनियम, 1950 का उल्लंघन होगा। किसी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देने के लिए झंडे को झुकाया नहीं जाएगा। झंडे को आधा झुका कर नहीं फहराया जाएगा, सिवाय उन अवसरों के जब सरकारी भवनों पर झंडे को आधा झुका कर फहराने के आदेश जारी किए गए हों। झंडे का आकार आयताकार होगा। झंडे की लंबाई और ऊंचाई (चैड़ाई) का अनुपात 3ः2 होगा। भारत का राष्ट्रीय झंडा हाथ से काते गए और हाथ से बुने गए ऊनी/सूती/सिल्क खादी के कपड़े से बनाया गया हो। झंडे पर किसी प्रकार के अक्षर नहीं लिखे जाएंगे। झंडे को जान-बूझकर जमीन अथवा फर्श को छूने अथवा पानी में घसीटने नहीं दिया जाएगा। झंडे को जानबूझकर केसरिया रंग को नीचे प्रदर्शित करके नहीं फहराया जाएगा।
जनता का कोई भी व्यक्ति, कोई भी गैर सरकारी संगठन अथवा कोई भी शिक्षा संस्था राष्ट्रीय झंडे को सभी दिनों और अवसरों, औपचारिकताओं या अन्य अवसरों पर फहरा/ प्रदर्शित कर सकता है। राष्ट्रीय झंडे की मर्यादा रखने एवं उसे सम्मान प्रदान करने के लिए संहिता में उल्लेखित बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए। जब कभी राष्ट्रीय झंडा फहराया जाए तो उसकी स्थिति सम्मानजनक और पृथक होनी चाहिए। फटा हुआ या मैला-कुचैला झंडा प्रदर्शित नहीं किया जाए। झंडे को किसी अन्य झंडे अथवा झंडों के साथ एक ही ध्वज-दंड से नहीं फहराया जाए। झंडा फट जाए या मैला हो जाए तो उसे एकांत में उसकी मर्यादा के अनुकूल तरीके से पूरा नष्ट कर दिया जाए। सरकारी तौर पर झंडा फहराये जाने के सभी अवसरों पर केवल उसी झंडे का प्रयोग किया जाएगा जो भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप हो और जिस पर ब्यूरो का मानक चिन्ह लगा हो। दूसरे अवसरों पर भी समुचित आकार के ऐसे झंडे फहराना वांछनीय होगा।
जब भी झंडा फहराया जाए तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाना चाहिए और उसे ऐसी जगह पर लगाना चाहिए जहां वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे। झंडे को सदैव स्फूर्ति से फहराया जाए और धीरे-धीरे आदर के साथ उतारा जाए। फटा या मैला-कुचैला झंडा नहीं फहराया जाएगा। झंडे का प्रदर्शन इस प्रकार बांधकर नहीं किया जाएगा, जिससे कि वह फट जाए। झंडे का प्रयोग किसी भवन में पर्दा लगाने के लिए नहीं किया जाएगा।