हम चाहे कितने भी विकसित हो जाए चाहे कितने भी पढ़ लिख ले लेकिन हमारी रूढ़िवादी सोच घटिया सोच कहीं ना कहीं हमारी विकास के आगे आ जाती है ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है झुंझुनू के मलसीसर से जहां मात्र 12 घंटे की बच्ची को महज इसलिए झाड़ियों में फेंक दिया गया कि वह लड़की है, जिसने भी खुलकर आंखें भी नहीं खोली उससे पहले ही उसे मौत के घाट उतारने के लिए झाड़ियों में फेंक दिया गया लेकिन वह कहते हैं ना कि जाको राखे साइयां मार सके ना कोई। ऐसा ही हुआ नवजात बच्ची के साथ में नवजात को कुएं के पास से गुजर रहे लोगों ने देख लिया जिसके तुरंत प्रभाव से प्रशासन व सरपंच को सूचना दी जिसके तुरंत बाद से बच्ची को मलसीसर अस्पताल में ले जाकर प्राथमिक उपचार दिया गया जिसके बाद में बच्ची को रेफर कर के झुंझुनू के बीडीके अस्पताल में भेज दिया गया। अस्पताल में लाते ही बच्ची का इमरजेंसी ट्रीटमेंट वरिष्ठ डाक्टरों की देखरेख में किया जाने लगा वही एनएससीयू इंचार्ज डॉक्टर बीडी बाजिया ने बताया कि बच्ची मात्र 12 घंटे पहले ही जन्मी है और जिसे झाड़ियों में फेंकने के कारण शरीर का तापमान भी कम हो चुका है वही बच्ची प्रीमेच्योर डिलीवरी भी बताई जा रही है जिससे बच्चे का वजन भी कम है वहीं बच्ची को सांस लेने में भी दिक्कत है अभी कुछ कहना जल्दी होगी लेकिन पूरा स्टाफ बच्चे को बचाने में लगा हुआ है।