झुंझुनूं की स्थानीय लाम्बा कोचिंग कॉलेज के निदेशक शुभकरण लाम्बा ने कहा है कि वर्तमान में प्रचलित राजनीति ने मात्र निहित स्वार्थो को साधने के लिये हमारी भावनाओं को दूषित किया है तथा जातिगत समरस भावनाओं मेें जहर घोला है और अखण्डता के स्थान पर उसे खण्ड-खण्ड करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि जाति प्रथा देश को कमजोर बनाती है। वे शनिवार को डॉ.भीमराव अम्बेडकर की जयंती के अवसर पर कॉलेज परिसर में आयोजित समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने कठिन परिश्रम करके महानता अर्जित की है। वे न केवल भारत संविधान के निर्माता थे वरन् एक योग्य प्रशासक, शिक्षाविद्, राजनेता और विद्धान भी थे। अस्पृश्यता के अभिशाप ने डॉ. अम्बेडकर को मजबूर किया कि वे जातिवाद के इस दैत्य को नष्ट कर दे। उनका मानना था कि भाग्य बदलने के लिये शिक्षा ही एक सहारा है और जीवन का आधार है। उन्होंने दलितो को सामाजिक व आर्थिक दर्जा दिलाया और उनके अधिकारों का संविधान में दर्जा भी दिलाया। डॉ. अम्बेडकर ने महिलाओं की कठिनाईयों को दूर करने के लिये भी हमेशा अपना योगदान दिया। उन्होंने कहा कि आज हमारे देश में हिंसा, अराजकता, भ्रष्ट्राचार जैसे अनेक कुत्सित रोग पैदा हो गये है जिसके कारण आज युवक दिशा विहिन है। विदेशी ताकतों ने हमे और हमारे राष्ट्र को जो आघात दिया है उससे तो हम उभर सकते है परन्तु जब हमारे लोग हमे चोट देते है तो इसका प्रभाव सांघातिक होता है और वर्तमान समय में यही हो रहा है। डॉ. अम्बेडकर ने स्वतंत्र भारत के संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उनका बनाया हुआ विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान 26 नवंबर 1949 को स्वीकार कर लिया गया। उनके महान त्यागपूर्ण जीवन जीते हुए दलितों के कल्याण के लिए संघर्ष करते हुए डॉ. अम्बेडकर 6 दिसंबर 1956 को स्वर्ग सिधार गए। उनके महान कार्यों और उपलब्धियों के बदले में उन्हें मरणोंपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। समारोह को सम्बोधित करते हुए पूर्व आईएएस विजय भारती, पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी लियाकत अली खान, शिक्षावद् टेकचंद शर्मा, प्रो.रतनलाल पायल, चंद्र्रप्रकाश शास्त्री, प्रमोद पूनिया, सुरेन्द्र ने कहा कि राष्ट्रीय चरित्र, राष्ट्रीय गौरव, राष्ट्रीय मर्यादा, राष्ट्रीय स्मृद्धि आदि की वृद्धि और उत्कर्ष वर्तमान समय की अत्यन्त आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर के आदर्शो पर चलकर ही हमारा देश विकास की और बढ़ सकता है। हमारा चरित्र जितना दृढ़ और मजबूत होगा हमारा राष्ट्रीय चरित्र उतना ही सुदृढ़ और शक्तिशाली होगा। इस अवसर पर बड़ी संख्या में प्रशिक्षणार्थी उपस्थित थे।