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झुंझुनू जिला स्तरीय सम्मान समारोह पर उठे सवाल

राजस्थान व राज्य से बाहर पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा में जान जोखिम में डालकर लिंग जांच करने वाले गिरोह दबिश देकर पकड़ने में मुख्य भूमिका निभाने वाले जिले के पीसीपीएनडीटी कॉर्डिनेटर दिनेश कुमार की अब तक की दर्जनों डिकोय कार्यवाही के कारण जिला दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हुआ। दो दो जिला कलेक्टर नए पुराने ने सम्मान के लिये हाथ बढ़ाये खूब तालियां बटोरी। लेकिन दूसरा दुखद पहलू यह भी है कि जान जोखिम में डालकर डिकोय ऑपरेशन करने वाले पीसीपीएनडीटी कॉर्डिनेटर दिनेश कुमार ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर सम्मानित होने के लिये आवेदन किया तो जिला प्रशासन ने अपना असंवेदनशील चेहरा दिखाते हुए आवेदन को ठुकरा दिया। अल्प वेतन में संविदा पर काम करने वाले पीसीपीएनडीटी कॉर्डिनेटर दिनेश कुमार ने गुरुवार को ही हरियाणा टीम के साथ मिलकर पिलानी में डिकोय ऑपरेशन को सफल बनाया। जबकी जिला प्रशासन ने दिनेश को उसकी बहादुरी का सिला उसका आवेदन ठुकरा के दिया। संयोग से गणतंत्र दिवस समारोह का ध्वजारोहण करने भी चिकित्सा राज्य मंत्री सुभाष गर्ग आये और जिला प्रशासन चिकित्सा विभाग के एक संविदा कर्मी के हौसला अफजाई की बजाय उसके साथ ऐसा असंवेदनशील बर्ताव किया। मजे की बात है कि जिस काम के लिए आपको राष्ट्रीय स्तर पर जिनके ग्राऊंड वर्क से सम्मान मिलता है उनको जिला प्रशासन ने जिला स्तर पर भी सम्मानित करने के काबिल भी नहीं समझा। एक तरफ सरकार के स्थाई कर्मचारी या अधिकारी जिनके पास बड़ी जिम्मेदारी है वो अपने कार्य के प्रति लापरवाह देखे जाते है दूसरी तरफ संविदा पर काम करने वाला व्यक्ति जो लिंग जाँच वाले मामले में अपनी जान की बाजी लगाकर काम करता है। उसके समर्पण का हमारे प्रशासन के लिए कोई मोल नहीं है। नव आगंतुक जिला कलेक्टर की कार्यक्षमता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता क्योकि ये शायद पहले जिला कलेक्टर है जो अपने पदभार ग्रहण करने के साथ ही मिशन ग्राऊंड पर निकले है। लेकिन जो जिला प्रशासन का सिस्टम है उसमे कुछ चापलूस लोगो के कारण पुरे सिस्टम पर सवाल उठते है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि सम्मानित होने और न होने वाले लोगो पर सवाल उठा हो लेकिन किसी कर्मशील कर्मचारी के प्रति ऐसी संवेदन हीनता शायद पहले कभी न देखी गई हो। जिला स्तर पर जिन लोगो को विभिन्न क्षेत्रो से उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया जाता है उसका शायद कोई पैमाना नहीं होकर अपने चहेतो की अनुशंसा को ध्यान में रखा जाता है। कुछ पत्रकारों ने जिला प्रशासन व पत्रकारों के बीच हुए फ्रैंडली मैच में भी एक दूरी सी बनाई रखी वह भी लोगो में चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या कारण था जिसके चलते वरिष्ठ पत्रकारो ने अपने को इस आयोजन से दूर रखा।

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