सूरजगढ़[कृष्ण कुमार गाँधी ] राजस्थान के झुंझुनूं जिले का लिगांनुपात किसी समय प्रदेश में सबसे कम होता था यहां पर पुरूषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या का स्तर काफी कम था जो एक सोचनीय प्रश्न था। जिसको लेकर सरकार ने बेटियों को बचाने के लिए एक मुहिम चलाई बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं जिसमें जिला मुख्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में जिले के करीब पांच लाख लोगों ने एक साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं की शपथ ली। जिसके बाद लिगांनुपात में काफी अन्तर आया है। जिले में बेटियों का काफी मान सम्मान होने लगा है और हो भी क्यों नही आज बेटियां किसी भी मायने में बेटों से कम नही है बेटियां हर क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड रही है। पहले जहां बेटी जन्म को बोझ समझा जाता था बेटी जन्म पर परिजन दु:खी होते थे आज उनकी सफलता से सबक लेकर बेटियों को बेटों के बराबर समझने लगे हर जगह उनको बेटों के समान दर्जा दिया जाने लगा। आज बेटी के जन्म पर बेटों के समान कुआं पुजन व प्रीतिभोज का आयोजन होने लगा वहीं विवाह शादियों में पहले जहां बेटों को घोड़ी पर बैठाने की परंपरा थी आज बेटियों को भी हर गांव, ढ़ाणी व कस्बों में बेटों के समान घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकालने लगे। शुक्रवार को कस्बे के वार्ड नं निवासी चोथमल कुमावत ने अपनी तीसरे नं की बेटी पुनम की शादी में बेटी को घोड़ी पर बैठाकर धुमधाम से बिंदोरी निकालकर समाज को बेटी बेटे में भेदभाव नही करने का संदेश दिया।