झुंझुनूताजा खबर

झुंझुनू जिले पर टिड्डी दल मंडराया किसानों का सर चकराया

फसलों का दुश्मन प्रवासी हानिकारक कीट है टिड्डी

झुंझुनू, अभी झुंझुनू के लोग कोरोना से सामान्य हो ही नहीं पा रहे थे कि कल जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में टिड्डी दल को मंडराते हुए देखकर किसानों का सर चकरा गया। गौरतलब है कि टिड्डी प्रवासी कीट है जो पाकिस्तान की तरफ से इथोपिया और साउथ अफ्रीका से आता है और फसलों के लिए यह बहुत ही हानिकारक होता है। जहां पर इसका दल डेरा डाल देता है वहां से फसलों का या हरि वनस्पतियों का यह सफाया कर डालता है। इस बारे में डॉ विजय पाल कस्वा सहायक निदेशक कृषि विस्तार झुंझुनू ने जानकारी देते हुए बताया कि चूरू जिले के सरदार शहर में 1 दिन पहले इस टिड्डी दल के आने के समाचार मिले थे वही झुंझुनू के टमकोर के पास सुजानपुरा जो कि चूरू में पड़ता है वहां से इसने झुंझुनू जिले में प्रवेश किया और गांगियासर होता हुआ अलसीसर रामपुरा डाबड़ी सोनासर बगड़ से होकर खेतड़ी पहुंचा ।खेतड़ी में टिड्डी दल ने रात्रि का पड़ाव डाला । डॉक्टर कस्वांने जानकारी देते हुए बताया कि इससे पहले 27 साल पूर्व 1993 में एक छोटा टिड्डी दल नवलगढ़ के एरिया से गुजरा था वहीं पिछले साल गंगानगर हनुमानगढ़ जैसलमेर जिले से गुजरा था। जिले के अंदर कल जो आया था वह बहुत ही बड़ा टिड्डी दल 5 किलोमीटर लंबा था वह 5 किलोमीटर लंबा डेढ किलोमीटर चौड़ा था डॉक्टर कस्वा ने बताया कि किसानों का ऑफ सीजन चल रहा है खेतों में कोई फसल नहीं खड़ी है सिर्फ सब्जी कपास की फसल ही खेतों के अंदर है जिससे इतना नुकसान नहीं हुआ । वही रात्रि में टिड्डी दल ने जहां पर डेरा डाला वहां पर हमने 8 ट्रैक्टर, तीन टैंकर पानी के साथ में लोकेस्ट कंट्रोल डिपार्टमेंट की टीम चूरू से पहुंची उसके साथ मिलकर हमने सुबह 4:00 से 8:00 बजे तक इन पर दवाइयों का छिड़काव किया । उसके बाद में यह सीकर जिले के नीमकाथाना की दिशा में प्रवेश कर गया वहीं उन्होंने बताया कि किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को प्रति हेक्टेयर ₹1000 अनुदान देने का प्रावधान है जिसके लिए किसानों को आवेदन करना होगा। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि यह टिड्डी दल सुबह 8:00 से रात्रि 8:00 बजे तक उड़ान पर रहता है और रात्रि 8:00 बजे से सुबह 8:00 बजे तक यह पड़ाव डालता है और जहां पर यह पडाव डालता है वहां से हरि वनस्पतियों का सफाया कर डालता है। उन्होंने बताया कि हवा के प्रवाह के अनुसार ही यह दिशा तय करता है कल वाले दल की स्पीड 100-150 किलोमीटर प्रति घंटा की थी। उन्होंने बताया कि टिड्डी प्रकोप से बचने के लिए जिला स्तर एवं तहसील स्तर पर कंट्रोल रूम की स्थापना भी की गई है।

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