बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं अभियान को गति देने में झुंझुनूं की बेटियों व बहुंओं ने बखूबी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राजस्थान में पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के तहत किए गए 107 डिकॉय ऑपरेशनों में 63 महिलाओं ने गर्भवती सहयोगी व मुखबीर की भूमिका निभाई है। जिसके कारण 65 डॉक्टरों सहित 283 लिंग जांच करने वालों को पकड़ा गया। लिंग जांच करने वालों को पकड़ाने में बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं अभियान में अग्रणी भूमिका निभाने वाली अनेक महिलाएं गर्भवती होने के दौरान डिकॉय की भूमिका निभाई। वहीं सहयोगी व मुखवीर की भूमिका भी अदा की है। सामाजिक कार्यकर्ता राजन चौधरी के द्वारा किए अध्ययन के अनुसार राजस्थान में किए गए 107 डिकॉय ऑपरेशनों में से 16 डिकॉय ऑपरेशन झुंझुनूं जिले में ही हुए। जिसमें पांच डिकॉय ऑपरेशनों में मुखबीर का कार्य भी बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं अभियान से जुड़ी महिला कार्यकर्ताओं ने किया। साथ ही इन सभी 16 डिकॉय ऑपरेशनों में गर्भवती महिलाएं भी इन्ही की सहयोगी महिलाएं रही है। चौधरी ने बताया कि राजस्थान के सीकर, जयपुर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, नागौर, जोधपुर, अलवर, कोटा, सवाई माधोपुर सहित 10 जिलों में लिंग जांच करने वालों को पकड़ाने में झुंझुनूं जिले की बेटिओं व बहुओं ने डिकॉय व सहयोगी की भूमिका निभाई है। वहीं राजस्थान से सटे समीवर्ती राज्यों में भी डिकॉय ऑपरेशन करवाने गई है। इस प्रकार झुंझुनूं की 6 गर्भवती महिलाओं ने उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा व पंजाब में किए गए अंर्तराज्य डिकॉय ऑपरेशनों में सहयोग प्रदान किया। राजन चौधरी ने बताया कि बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं अभियान से जागरूकता पैदा हुई है, वहीं पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत कार्यवाही करने से कानून की अहवेलना करने वालों को भी पकड़ा गया है। जिसके कारण झुंझुनूं जिले का ही नही बल्कि राजस्थान के बालिका लिंगानुपात में बेहत्तर सुधार हुआ है। उन्होंने बताया कि दलालों द्वारा राज्य की गर्भवती महिलाओं के सीमावर्ती राज्यों में लेकर जाने वालो का भी कानून के कारण पकड़ा जाने लगा है। राजस्थान के जिन जिलों का बालिका लिंगानुपात 900 से कम था। वहां पर राज्य पीसीपीएनडीटी सेल द्वारा मुखबीरों के सहयोग से डिकॉय ऑपरेशन किए गए और लिंग जांच करने वालों को पकड़ा गया। अब उन सभी जिलों के बालिका लिंगानुपात में सुधार हो रहा है। जिनमें झुंझुनूं जिला सबसे अग्रणी भूमिका निभा रहा है।