झुंझुनू में स्थित दरगाह कमरुद्दीन शाह अपने आप में एक इतिहास समेटे हुए हैं दरगाह कमरुद्दीन शाह जहां पूरे हिंदुस्तान भर में मशहूर है वहीं इस दरगाह के बारे में कई दंत कथाएं भी है आज भी लोग उन परंपराओं और दंत कथाओं पर विश्वास करते हैं और उन परंपराओं को कायम भी रखे हुए हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं दरगाह कमरुद्दीन शाह और बाबा चंचल नाथ जी का मंदिर जो कि झुंझुनू में सांप्रदायिक और सौहार्द की मिसाल को कायम किए हुए हैं सैकड़ों सालों से ऐसा माना जाता है कि जब भी चंचल नाथ जी के मंदिर में दुर्गा पूजा या कोई बड़ा विशाल समागम संतों का होता है तो वहां पर दरगाह कमरुद्दीन शाह के गद्दी नशीन मौजूद रहते हैं वहीं दरगाह कमरुद्दीन शाह मे जब उर्स होते है तो चंचल नाथ जी मंदिर के पीठाधीश्वर उर्स के मौके पर दरगाह मे मौजूद रहते हैं। वही दरगाह कमरुद्दीन शाह मे हर साल दीपावली भी मनाई जाती है दरगाह मे दीपावली के त्यौहार पर दरगाह में मुस्लिम बच्चे व बूढ़े सभी एक साथ मिलकर दिए जलाते हैं और पटाखे चलाकर दीपावली का त्योहार भी मनाते हैं। दरगाह कमरुद्दीन शाह के गद्दी नशीन एजाज नबी कहते हैं कि ऐसा सैकड़ों सालों से किया जा रहा है और उसी परंपरा को आज भी हम कायम रखे हुए हैं। हर साल की भांति आज भी हम दीपावली पर दरगाह में पटाखे चलाकर दीपावली का त्यौहार मना रहे हैं और खुशियां मना रहे हैं। साथ ही हम यह संदेश भी देना चाहते हैं कि हिंदुस्तान में भाईचारा व सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए ऐसे कार्यक्रमों का होना बहुत जरूरी है जो सैकड़ों साल पहले बाबा कमरुद्दीन शाह और बाबा चंचल नाथ जी इन दोनों संतों ने कायम किया था और इन्हीं की देन है कि देश में चाहे कैसा भी माहौल रहा हो मगर झुंझुनू में शांति और सौहार्द पूर्ण माहौल हमेशा बना रहा है।